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नहीं पिघलने वाली है भारत-पाक रिश्तों पर जमी बर्फ

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संजय मग्गू
विदेश मंत्री एस जयशंकर आगामी 15 अक्टूबर को शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ के दो दिवसीय शिखर बैठक में भाग लेने पाकिस्तान जा रहे हैं। विदेश मंत्री की यात्रा को लेकर भारत और पाकिस्तान सहित कई देशों में बड़ी चर्चा हो रही है। एक दशक बाद यह पहला मौका है जो भारत का कोई कैबिनेट मंत्री पाकिस्तान जा रहा है। इससे पहले तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज दिसंबर 2015 में हॉर्ट आॅफ एशिया कान्फ्रेंस में हिस्सा लेने इस्लामाबाद गई थीं। हालांकि इसके कुछ ही दिनों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अनापेक्षित रूप से तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की नातिन के वैवाहिक कार्यक्रम में लाहौर पहुंचे थे। इसके बाद 2016 में सार्क शिखर सम्मेलन में भाग लेने तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह गए थे। अब जब दस साल बाद भारत की ओर से कोई कैबिनेट मंत्री शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में भाग लेने जा रहा है, तो इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या एक दशक से भारत-पाक के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलेगी? क्या भारत पाक संबंध एक बार फिर वार्ता की दहलीज तक पहुंचेंगे? इस बारे में भारत का मानना है कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर की यात्रा से भारत-पाक के संबंधों पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है क्योंकि वहां पर शंघाई सहयोग संगठन से जुड़े मुद्दों पर ही चर्चा होगी। आगे की रणनीतियों और मुद्दों पर ही चीन, रूस, बेलारूस, पाकिस्तान, भारत सहित अन्य देश विचार विमर्श करेंगे। इस बैठक में भारत-पाक संबंधों पर कोई चर्चा नहीं होने वाली है। पिछले साल जब दिल्ली में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में विदेश मंत्री की हैसियत से बिलावल भुट्टो आए थे, तब भी यह भारत-पाकिस्तान संबंधों में कड़वाहट कम होने की बात कही गई थी, लेकिन हुआ क्या था? दोनों देशों को विदेश मंत्री ने अगले ही दिन एक दूसरे पर तीखे प्रहार किए थे। एससीओ की बैठक में भाग लेना एक तरह से भारत की बाध्यता है ताकि दुनिया में भारत के प्रति सकारात्मक सोच कायम हो। पूरी दुनिया में इन दिनों उसकी जो छवि है, उस पर कोई आंच न आए। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद पाकिस्तान जाने की जगह विदेश मंत्री को भेजना ज्यादा उचित समझा। भारत वैश्विक मंचों पर यह कई बार कह चुका है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवादी गतिविधियों को बंद नहीं करता, तब तक उससे बातचीत का कोई मतलब नहीं है। और पाकिस्तान अपनी इन हरकतों से बाज आने वाला नहीं है। यह भारत ने पिछले 75 वर्षों में देख लिया है। इधर बातचीत और उधर सीमा पर गोलीबारी या आतंकवादी घुसपैठियों को भारत में भेजकर नुकसान पहुंचाने की कोशिश करना पाकिस्तान की फितरत रही है। पाकिस्तान सुधरने वाला नहीं है। ऐसी स्थिति में भारत के लिए पाक का कोई महत्व नहीं है। वह अपनी छवि और विश्व में दिनोंदिन बढ़ती स्वीकार्यता को ही ध्यान में रखकर कदम उठाएगा। बस।

संजय मग्गू

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