उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) और विश्व बैंक के साथ मिलकर एक महत्वाकांक्षी कृषि एवं ग्रामीण उद्यम विकास परियोजना (यूपीएग्रीस) की शुरुआत की है। 3,903 करोड़ रुपये की इस परियोजना को छह साल में लागू किया जाएगा। इस परियोजना का उद्देश्य राज्य में कृषि क्षेत्र और इससे जुड़े अन्य क्षेत्रों को पुनर्जीवित करना, उत्पादकता को बढ़ाना और छोटे किसानों को उन फसलों से जोड़ना है जिनसे उन्हें बेहतर आर्थिक लाभ मिल सके।
इस परियोजना पर नई दिल्ली में आयोजित बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व किया। बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने राज्य की विकास योजनाओं पर जोर देते हुए कहा कि यह परियोजना उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 2030 तक एक हजार अरब डॉलर तक पहुंचाने के राज्य के लक्ष्य को पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान देगी। उन्होंने बताया कि परियोजना के तहत किसानों को उच्च मूल्य वाले फसल समूहों जैसे फल, सब्जियां, मसाले और औद्योगिक फसलों की ओर प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके साथ ही, मत्स्य पालन के क्षेत्र में एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया जाएगा, जिससे राज्य के पूर्वी और बुंदेलखंड क्षेत्रों को विशेष लाभ मिलेगा। इन क्षेत्रों में कृषि की संभावनाएं अधिक होने के कारण इन्हें प्राथमिकता दी जा रही है।
मुख्य सचिव ने परियोजना के डिजिटल पहलुओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि किसानों को वास्तविक समय में मौसम, बाजार मूल्य और कृषि संबंधी अन्य जानकारियां उपलब्ध कराने के लिए एक डिजिटल कृषि मंच का विकास किया जाएगा। यह मंच किसानों को वैज्ञानिक तरीके से खेती करने, जल और अन्य संसाधनों का बेहतर उपयोग करने, और उनकी फसल की उत्पादकता बढ़ाने में मदद करेगा। इसके माध्यम से किसान बाजार की मांग के अनुरूप उत्पादन कर पाएंगे, जिससे उन्हें अधिक मुनाफा होगा।
कुल मिलाकर, इस परियोजना से उत्तर प्रदेश के छोटे किसानों और ग्रामीण उद्यमों को सशक्त बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम उठाया गया है। राज्य सरकार को उम्मीद है कि इससे प्रदेश की कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयां मिलेंगी और किसानों का जीवनस्तर बेहतर होगा।