इस दुनिया में सबसे कीमती है समय। जो समय बीत गया, उसको दोबारा पाया नहीं जा सकता है। समय को खरीदा भी नहीं जा सकता है। यही वजह है कि समय को हमारे पुरखों ने सबसे ज्यादा मूल्यवान माना है। एक बार की बात है। किसी गांव में श्री पटेल नाम का एक बुजुर्ग रहता था। वह काफी बुद्धिमान था। गांव के आसपास के लोग उससे अपनी समस्याओं का हल पूछने के लिए आते रहते थे। एक बार उसके पास राज नाम का एक युवक आया और उसने अभिवादन के बाद कहा कि मैं जो भी काम करना शुरू करता हूं, उसको पूरा नहीं कर पाता हूं। मैं बहुत जल्दी अधीर हो जाता हूं।
मुझे लगता है कि समय मेरे हाथ से फिसलता जा रहा है और मैं कुछ नहीं कर पा रहा हूं। यह सुनकर वह बुजुर्ग मुस्कुराया और युवक से कहा कि तुम मेरे साथ चलो। मैं तुम्हारी समस्या का समाधान बताता हूं। युवक उस बुजुर्ग के साथ चल पड़ा। इस दौरान बुजुर्ग श्री पटेल ने राज से उसके बारे में सारी जानकारी ले ली। काफी देर तक चलने के बाद वे एक नदी के किनारे पहुंचे। तब बुजुर्ग ने एक बड़े से पत्थर पर बैठने के बाद अपने झोले से एक अद्भुत गिलास निकाला और उस युवक से कहा कि मैं चाहता हूं कि तुम इस गिलास में नदी का पानी भर लाओ।
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वैसे यह काम उस युवक को बहुत सरल लगा। उसने गिलास में नदी का पानी भरा और लाने लगा तो उसके हाथ से गिलास फिसलने लगा। उसने काफी प्रयास किया, लेकिन गिलास छूट ही गया। उसने कई बार गिलास में पानी भरा और हर बार यही हुआ। तब उसने कहा कि इस गिलास में पानी भरना असंभव है। तब बुजुर्ग ने कहा कि ठीक इसी तरह समय को पकड़ पाना असंभव है। बुद्धिमानी यही है कि इसका अधिक से अधिक उपयोग किया जाए। युवक सारी बात समझ गया। उसने बुजुर्ग को धन्यवाद कहा और चला गया।
-अशोक मिश्र
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