इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Uttar Pradesh: )में ज्ञानवापी मस्जिद से संबंधित मामले की सुनवाई बुधवार को मुस्लिम पक्ष के वकील की अस्वस्थता के कारण नहीं हो सकी। इस वजह से अदालत ने सुनवाई की तारीख 21 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी। पहले, अदालत ने 9 जुलाई 2024 को वाराणसी के जिला न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने वाली पुनरीक्षण याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए ज्ञानवापी मस्जिद की इंतेजामिया कमेटी को एक महीने का समय दिया था।
Uttar Pradesh: ‘वुजूखाना क्षेत्र का सर्वेक्षण आवश्यक’
वाराणसी के जिला न्यायाधीश ने ज्ञानवापी मस्जिद के भीतर कथित शिवलिंग को छोड़कर बाकी वुजूखाना क्षेत्र के सर्वेक्षण के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को निर्देश देने से मना कर दिया था। बुधवार को मुस्लिम पक्ष के वकील की ओर से अदालत को एक बीमारी की पर्ची भेजी गई और सुनवाई टालने का अनुरोध किया गया। इसके आधार पर अदालत ने अगली सुनवाई की तिथि 22 अगस्त तय की। यह मामला श्रृंगार गौरी की पूजा अर्चना वाद में शामिल वादकारियों में से एक, राखी सिंह द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका से जुड़ा है। राखी सिंह का कहना है कि मुस्लिम पक्ष ने अभी तक कोई जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया है। उन्होंने अपनी पुनरीक्षण याचिका में तर्क दिया कि न्याय के हित में वुजूखाना क्षेत्र का सर्वेक्षण आवश्यक है, क्योंकि इससे अदालत को निर्णय पर पहुंचने में सहायता मिलेगी।
एएसआई पहले ही ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण कर चुका है
वाराणसी के जिला न्यायाधीश के 21 अक्टूबर के आदेश में वुजूखाना क्षेत्र के सर्वेक्षण का आदेश देने में विफल रहने पर राखी सिंह ने असहमति जताई। हिंदू पक्ष के वकील सौरभ तिवारी और अमिताभ त्रिवेदी ने भी दलील दी कि संपूर्ण संपत्ति का धार्मिक चरित्र निर्धारित करने के लिए वुजूखाना का एएसआई से सर्वेक्षण कराया जाना आवश्यक है। यह सर्वेक्षण उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के तहत गैर आक्रामक पद्धति से किया जा सकता है। एएसआई पहले ही ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण कर चुका है और वाराणसी के जिला न्यायाधीश को अपनी रिपोर्ट सौंप चुका है।