Thursday, September 19, 2024
30.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiहमें बड़ी नहीं, छोटी-छोटी खुशियों को खोजना होगा

हमें बड़ी नहीं, छोटी-छोटी खुशियों को खोजना होगा

Google News
Google News

- Advertisement -

खुशी मन या भावना की वह दशा है जिसमें मनुष्य को जीवन की सार्थकता और मूल्यों का एहसास होता है। खुश या दुखी होना मानव स्वभाव है। आप कल्पना करके देखिए, जब इंटरनेट युग का प्रादुर्भाव नहीं हुआ था, तब अपने परिवार के किसी सदस्य या प्रियजन की एक चिट्ठी पाकर लोगों को कितनी प्रसन्नता होती थी। आज विज्ञान ने मोबाइल फोन उपलब्ध करा दिया, जब मर्जी हुई बात कर ली। ह्वाट्सएप या मैसेंजर पर संदेश लिख दिया, लेकिन वह मजा या खुशी नहीं मिलती, जो एक पोस्टकार्ड आने पर मिलती थी। विरह, चिंता और दूरी जैसी बाधाएं आज कोई मायने नहीं रखती हैं। लेकिन तब रखती थीं। इन बाधाओं को पाकर जब कोई चिट्ठी आती थी, तो समाचार जानने को एक ललक उठती थी। वह ललक ही मन में खुशी का संचार करती थी। जीवन में जब पहली बार साइकिल खरीदने वाले को जितनी खुशी मिलती है, उतनी खुशी शायद बाद में स्कूटर या कार खरीदने पर नहीं मिलती।

हमारे जीवन में आज उस ललक या फिर कहें कि खुशी का अभाव होता जा रहा है। खुशी मिलती है जीवन में सकारात्मक रहने से। जब हम अपने जीवन में सकारात्मक रहते हुए किसी लक्ष्य को प्राप्त करते हैं, तो मन प्रसन्न हो जाता है। यह प्रसन्नता हमें स्वस्थ रखती है। अमेरिका के वैज्ञानिक जॉन हॉपकिंस मेडिसिन ने अपने रिसर्च में यह साबित किया है कि जो लोग खुश रहते हैं, वे लंबी जिंदगी जीते हैं, वे हृदय रोग जैसी बीमारियों से भी काफी हद तक बचे रहते हैं। सकारात्मक या खुश रहने वाले हृदय रोगी कार्डिक अरेस्ट या हॉर्ट अटैक से कुछ हद तक बचे रहते हैं। असल में आज के युग में खुशी की परिभाषा भी बदलती जा रही है। जब कोई बहुत बड़ा लक्ष्य हासिल हो जाए, उसी अवसर पर हमने खुश सीख लिया है। हमने उन छोटी-छोटी खुशियों को नजर अंदाज कर दिया है जो हमारे जीवन में आती ही रहती हैं। पुराने जमाने में लोग लंबी जिंदगी जीते थे। ऐसा कहा जाता है।

लेकिन उन्हें खुश होने के लिए अवसरों की तलाश नहीं करनी पड़ती थी। उनकी गाय ने बच्चे को जन्म दिया, खुश हो गए। फसल लहलहा आई, खुश हो गए। नए कपड़े बनवाने भर की रकम जमा हो गई, खुश हो गए। लंबी चौड़ी आकांक्षाएं भी नहीं थीं। छोटी-छोटी आकांक्षाएं जब पूरी हो जाती थीं, तो वे खुश हो जाते थे। वह अपने आसपास के लोगों को भी खुश रखते थे। वे यह मानकर ही खुश रहते थे कि भगवान ने जितनी जिंदगी दी है, उसको हंसी-खुशी जीना चाहिए। जीवन में काम आने वाली सुविधाएं बहुत कम थीं, लेकिन खुशी भरपूर थी। आज भौतिक सुख-सुविधाओं से घर भरा हुआ है, ज्ञान-विज्ञान ने जीवन में आने वाली प्राकृतिक बाधों पर विजय प्राप्त कर ली है, लेकिन खुशी कहीं बिला (खो) गई है। इन भौतिक सुविधाओं के बीच हमें एक बार फिर उन छोटी-छोटी खुशियों को खोजना होगा। यदि हम उसे खोजने में सफल हो गए, तो जीवन जितने भी दिन का होगा, सुखमय होगा।

-संजय मग्गू

- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

PM Modi Srinagar: श्रीनगर में पीएम मोदी की रैली, सुरक्षा व्यवस्था कड़ी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज श्रीनगर(PM Modi Srinagar: ) में एक रैली को संबोधित करने जा रहे हैं, जिसके चलते क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी...

12वीं के बाद करियर की नई राहें: जानिए क्या हैं बदले समय में बदलते विकल्प:

आज के युवा 12वीं कक्षा के बाद विभिन्न क्षेत्रों में अपनी रुचियों के अनुसार करियर चुन सकते हैं। इस खंड में हम उन विकल्पों...

जनता की मूलभूत समस्याओं पर कब बात करेंगे राजनीतिक दल?

हरियाणा में चुनावी पारा दिनोंदिन गरम होता जा रहा है। आरोप-प्रत्यारोप का बाजार सजा हुआ है। एक दूसरे पर आरोपों की बौछार की जा...

Recent Comments