विनेश फोगाट हरियाणा की बहादुर बेटी है, इसमें कभी संदेह नहीं रहा। पेरिस ओलंपिक में डिसक्वालीफाई होने के बाद भी उसकी बहादुरी पर कोई फर्क नहीं आया है। हम 140 करोड़ देशवासियों को अपनी इस बहादुर और जुझारू बेटी पर नाज है, नाज था और आगे भी रहेगा। हार-जीत खेल जीवन का एक अभिन्न हिस्सा होता है। जब दो खिलाड़ी या दो टीमें किसी खेल में भाग लेते हैं, तो एक ही खिलाड़ी या टीम को विजय श्री हसिल होती है। हारने के बाद भी जो खिलाड़ी या टीम अपनी खेल भावना को बरकरार रखते हुए अपनी हिम्मत नहीं हारता है, वह प्रशंसनीय होता है। विनेश ने तो पिछले साल उस सिस्टम से लोहा लिया था जिसके खिलाफ खड़े होने की हिम्मत उनसे पहले किसी ने नहीं की थी।
जब कोई व्यक्ति पहले से जमे-जमाए सिस्टम के खिलाफ उठ खड़ा होता है, तो तमाम तरह की दिक्कतें आती ही हैं। भारतीय ओलंपिक संघ के तत्कालीन अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण का आरोप लगाकर जंतरमंतर पर कई महीनों तक संघर्ष करना काम साहस का काम नहीं था। लेकिन विनेश न केवल लड़ी, बल्कि पूरी व्यवस्था को मजबूर कर दिया कि महिला पहलवानों के साथ किए गए दुर्व्यवहार और यौन शोषण का मामला न्यायालय की चौखट तक पहुंच गया। इस मामले में सुप्रीमकोर्ट का फैसला आना अभी बाकी है। विनेश और उनके साथियों के विरोध प्रदर्शन से राजनीतिक व्यवस्था जरूर असहज हो गई थी क्योंकि आरोपी एक राजनीतिक दल का सांसद था।
इन तमाम जद्दोजहद के बावजूद जब विनेश फोगाट ने पेरिस ओलंपिक में भाग लेने का मन बनाया होगा, तब जरूर उन लोगों ने अडंगे लगाए होंगे जिन पर विनेश ने आंदोलन के दौरान अंगुली उठाई थी। इसके बावजूद तमाम दिक्कतों-तकलीफों के साथ सिस्टम से लड़कर पेरिस ओलंपिक में अपने प्रतिद्वंद्वियों को पटकनी देकर फाइनल तक पहुंचने वाली विनेश कितनी बहादुर है, यह कोई कहने की बात नहीं है। इससे उसका जुझारूपन ही साबित होता है।
पेरिस ओलंपिक में मात्र सौ ग्राम वजन की वजह से डिसक्वालीफाई होने पर कहा जा रहा है कि विनेश के खिलाफ साजिश रची गई और उसे जानबूझकर अयोग्य घोषित कराया गया। हो सकता है, ऐसा ही हुआ हो क्योंकि सत्ता की आंख में अंगुली घुसेड़ने वाले को सिस्टम ऐसे ही छोड़ देगा, ऐसा लगता तो नहीं है। लेकिन इस बारे में कोई दावा नहीं किया जा सकता है। सच क्या है? यह तो गहन जांच के बाद ही पता चलेगा। विनेश ने पेरिस ओलंपिक में भले ही गोल्ड न जीता हो, तकनीकी कारणों से अयोग्य घोषित कर दी गई हो, लेकिन उसने पूरे देश का दिल जरूर जीत लिया है। पूरे देश को अपनी बेटी विनेश फोगाट पर गर्व है। वह हमारे लिए गोल्ड मेडलिस्ट ही है। विनेश जब भी भारत लौटेगी, उसका स्वागत पूरा देश करेगा। पलक पांवड़े बिछाए 140 करोड़ देशवासी अपनी बेटी का इंतजार कर रहे हैं।
-संजय मग्गू
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