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बांग्लादेश में भारत के पूंजी निवेश का क्या होगा?

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अब जब बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना वहां हुए विद्रोह के बाद भागकर भारत आ गई हैं और वहां नोबल पुरस्कार विजेता और शेख हसीना के प्रतिद्ंद्वी मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार बन गई है, तब भारत और बांग्लादेश के बीच हुए व्यापार समझौते का भविष्य क्या होगा? यह सवाल उठ खड़ा हुआ है। तीस्ता नदी परियोजना का क्या हश्र होगा? मुक्त व्यापार समझौता हो भी पाएगा या नहीं? जैसे तमाम सवाल हवा में तैर रहे हैं। अभी तो बांग्लादेश का माहौल अशांत है। अंतरिम सरकार की सारी ताकत माहौल को सामान्य बनाने में लगी हुई है। कुछ ही दिनों में वहां का माहौल शांत हो जाएगा, अराजकता का माहौल बहुत ज्यादा देर तक नहीं रह सकता है। सब कुछ पटरी पर लौट आएगा, लेकिन इन सबके बाद नई सरकार भारत को लेकर क्या रुख अपनाती है, यह देखना बाकी है।

अर्थशास्त्रियों और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सरकारें बदलने से बहुत ज्यादा फर्क पड़ने वाला नहीं है। जब तक आयात-निर्यात की प्रक्रिया दोबारा शुरू नहीं होती है, तब तक जो नुकसान होगा, बस नुकसान उतने तक ही सीमित होगा। जमीनी हकीकत यह है कि बांग्लादेश दैनिक उपयोग में आने वाली चीजों से लेकर बिजली तक के मामलों में भारत पर ही निर्भर है। साल 2023-24 में दोनों देशों के बीच 13 अरब डालर का व्यापार हुआ था। पिछले साल नवंबर में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने अखौरा-अगरतला रेल लिंक, खुलना-मोंगला पोर्ट रेल लाइन और मैत्री थर्मल प्लांट का उद्घाटन किया था। लाइन आफ क्रेडिट प्रोग्राम के तहत बांग्लादेश के रेल इंफ्रास्ट्रक्चर में भारतीय रेल ने एक हजार करोड़ का निवेश किया है। इतना ही नहीं, बांग्लादेश में अडानी, डॉबर, मारिको, हीरो मोटोकॉर्प, टीवीएस मोटर ने भी भारी भरकम निवेश कर रखा है। अडानी समूह ने तो बांग्लादेश में अच्छा खासा निवेश कर रखा है।

अडानी पॉवर ने साल 2017 में बांग्लादेश पॉवर डेवलपमेंट के साथ 25 साल का समझौता किया था। इसके लिए अडानी पॉवर को झारखंड स्थित गोड्डा में अपना प्लांट लगाना पड़ा था। जिसको लेकर बांग्लादेश में विपक्षी दलों ने खूब हंगामा भी था। गोड्डा पॉवर प्लांट से 1496 मेगावाट बिजली देने का वादा अडानी समूह ने किया था। गोड्डा पावर प्रोजेक्ट देश का पहला ट्रांजेक्शनल पावर प्लांट है जिसकी सौ फीसदी बिजली बांग्लादेश भेजी जाती है। पिछले साल से गोड्डा प्लांट बांग्लादेश में बिजली भेज रहा है। सेना और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के रहमोकरम पर बनने वाली अंतरिम सरकार भारत के प्रति क्या रुख अपनाती है, यह अभी साफ नहीं हुआ है। लेकिन अतीत में बीएनपी का भारत के साथ जो रवैया रहा है, वह कोई बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं जगाती है। बांग्लादेश की भारत पर अनाज, दवाएं, बिजली और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं को खरीदने की निर्भरता मजबूर कर सकती है कि वह भारत से दोस्ताना संबंध कायम रखे।

-संजय मग्गू

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