Friday, December 27, 2024
15.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiअगर सभी लोग सच बोलने लगें तो कैसा होगा समाज?

अगर सभी लोग सच बोलने लगें तो कैसा होगा समाज?

Google News
Google News

- Advertisement -

जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभ देव से लेकर स्वामी महावीर तक ने कहा कि सत्य बोलो। महात्मा बुद्ध ने कहा, सत्य बोलो। सनातन धर्म के लगभग सभी अवतारों, महापुरुषों ने कहा, सत्यम वद यानी सत्य बोलो। लेकिन असत्य का खात्मा आज तक नहीं हो पाया। सदियों से सत्य और असत्य एक साथ फलते-फूलते चले आ रहे हैं। वैसे दार्शनिक सिद्धांतों के आधार पर बात कही जाए, तो सत्य और असत्य एक दूसरे के सापेक्ष हैं। सत्य का अस्तित्व तभी तक है, जब तक असत्य मौजूद है। दोनों में से किसी एक का भी अस्तित्व विलुप्त हो जाए, तो दूसरे का अस्तित्व भी तत्काल विलुप्त हो जाएगा। क्या हम एक ऐसे समाज की कल्पना कर सकते हैं जिसमें सभी लोग सच बोलते हों? कहीं चोरी-चकारी नहीं होती हो? कोई किसी की संपत्ति न हड़पता हो? कहीं कोई बेईमानी न करता हो?

कहीं कोई किसी महिला या लड़कियों से छेड़छाड़ न करता हो? संभव ही नहीं है, ऐसे किसी समाज की परिकल्पना कर पाना। यह पूरी दुनिया द्वंद्वमय है। द्वंद्वात्मकता का सिद्धांत यही कहता है। बुरा है, तभी अच्छा है। हम इससे भाग नहीं सकते हैं। हां, असत्य बोलना कम किया जा सकता है। और यह भी सच है कि हम अपनी और अपनी भावी पीढ़ी को सच बोलता हुआ देखना नहीं चाहते हैं। जब हमारा बच्चा या भाई-बहन किसी मामले में सच बोलते हैं, तो हमारी अक्सर यही प्रतिक्रिया होती है, तुम ऐसा कैसे कर सकते हो। तुमसे ऐसी उम्मीद नहीं थी। अगर किसी बच्चे ने कुछ गलत किया है और घर आकर अपने परिजनों से सच बता देता है, तो उसे तत्काल सच बोलने की सजा दी जाती है। उसके गाल या पीठ पर थप्पड़ या मुक्का जड़ दिया जाता है। उसे अपमानित किया जाता है।

उसे याद दिलाया जाता है कि उसके खानदान में किसी ने ऐसा काम कभी नहीं किया था। तुमसे ऐसी उम्मीद नहीं थी। तुमने तो पूरी सोसाइटी में नाक कटवा दी। अब सच बोलने वाला परेशान कि इससे अच्छा था, झूठ ही बोल देता। ऐसे तो समाज में सच का बोलबाला सिर्फ किस्से-कहानियों, संतों के प्रवचनों और नेताओं के नारे में ही रहेगा। ईसाई धर्म में कन्फेशन की व्यवस्था है। किसी भी किस्म का गलत काम करने वाला व्यक्ति चर्च में जाकर पादरी के सामने पर्दे में रहकर अपना अपराध स्वीकार करता है।

पादरी न तो कन्फेशन वाले के बारे में जानना चाहता है, न कन्फेशन करने वाला व्यक्ति पादरी के बारे में जानना चाहता है। सब कुछ सुनने के बाद पादरी उसे सलाह देता है कि ऐसी स्थिति में उसे क्या करना चाहिए। घर में मां-बाप को भी पादरी की भूमिका में रहना चाहिए। यदि आपका किसी मामले में सच बोलता है, तो उसे स्वीकार करें। बिना किसी प्रकार की उत्तेजना व्यक्त उसके सच बोलने का सम्मान करें, उसे उचित सलाह दें। उस पर क्रोधित न हों। जब एक बार बच्चे का अपने मां-बाप पर विश्वास जम जाएगा, तो वह आजीवन झूठ नहीं बोलेगा। वह तब तक जान चुका होगा कि जो गलती हो गई है, उसको स्वीकार करने के बाद उसे उचित सलाह दी जाएगी। उपहास नहीं उड़ाया जाएगा, तो निश्चित रूप से वह सत्य ही बोलेगा।

-संजय मग्गू

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

RJ Simran ने क्यों दी जान , वजह जानकर हो जाएंगे हैरान , परिवार ने किया खुलासा

रेडियो जाकी सिमरन का घर में ही मिल लटका हुआ शव इसके बाद उनके फंस और उन्हे जानने वाले लोगों के बीच अभी ...

rajsthan weather:राजस्थान में भी ओलावृष्टि की संभावना

राजस्थान के अधिकांश इलाकों में कड़ाके(rajsthan weather:) की सर्दी का असर जारी है और पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से शुक्रवार को कई जगह हल्की...

Governor Akhilesh:किस बात पर अखिलेश ने लिखा-“सत्य वचन”

समाजवादी(Governor Akhilesh:) पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की टिप्पणी पर सरकार पर तंज...

Recent Comments