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जनता की मूलभूत समस्याओं पर कब बात करेंगे राजनीतिक दल?

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हरियाणा में चुनावी पारा दिनोंदिन गरम होता जा रहा है। आरोप-प्रत्यारोप का बाजार सजा हुआ है। एक दूसरे पर आरोपों की बौछार की जा रही है। कोई जनता से नहीं पूछ रहा है कि उसकी क्या मंशा है। उसको कैसी सरकार चाहिए? उसके क्या अरमान हैं? ऐसा लगता है कि मतदाता का सिर्फ एक ही काम बचा है कि वह राजनीतिक दलों की सियासत को चुपचाप देखता रहे और समय आने पर वह अपने पसंदीदा उम्मीदवार को वोट दे आए। बस, हो गई लोकतंत्र की विजय। प्रदेश की जनता रोजगार, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, कानून-व्यवस्था, इंफ्रास्ट्रक्चर, उद्योग-धंधे, सरकारी कर्मचारियों जैसे न जाने कितने मुद्दों पर राजनीतिक दलों के विचार जानना चाहती है। वह चाहती है कि प्रदेश के विकास को लेकर राजनीति दलों का नजरिया क्या है? वह इसके बारे में विचार पेश करें।

बताएं कि प्रदेश में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए उनके पास कौन-कौन सी योजनाएं हैं? प्रदेश की सबसे बड़ी समस्या रोजगार की है। प्रदेश में बेरोजगारी का प्रतिशत देश में सबसे ज्यादा है। प्रदेश के लगभग 27 प्रतिशत युवा बेरोजगार हैं। बेरोजगारी की दर भी पिछले एक दशक में तीन-चार गुना से ज्यादा हो गई है। प्रदेश में साढ़े चार लाख पदों में से लगभग दो लाख नब्बे हजार पदों पर ही कर्मचारी काम कर रहे हैं। बाकी डेढ़ लाख से अधिक सरकारी पद पिछले कई सालों से खाली पड़े हैं। युवाओं के मन में यही सवाल है कि सरकार इन पदों पर कब भर्तियां करेगी? लेकिन भाजपा और कांग्रेस का रवैया इसके प्रति स्पष्ट नहीं है। दोनों पार्टियां कह रही हैं कि उनकी सरकार बनने पर खाली पदों को भरा जाएगा, लेकिन जब उनकी सरकारें थीं, तब भर्तियां क्यों नहीं की गईं, इसका कोई जवाब नहीं है।

किसानों की समस्याएं पिछले कई सालों से नहीं सुलझी हैं। मंडी में अपनी फसल लेकर पहुंचे किसानों को समय पर पैसा नहीं मिलता। फसल को खराब बताकर खरीदने से इनकार किया जाता है। फसल खराब होने पर समय पर मुआवजा नहीं मिलता है। प्रदेश में शिक्षा का स्तर भी एक मुद्दा है। सरकारी स्कूलों में भवन है तो पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं। शिक्षक हैं, तो कहीं शौचालय नहीं है, तो कहीं पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। यदि स्कूल में सहशिक्षा है, तो लड़के-लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय नहीं हैं।

प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर पर कोई बात नहीं करना चाहता है। स्टेट हाईवे, डिस्ट्रिक हाईवे और एक्सप्रेस हाईवे तो हैं, लेकिन गांवों और शहरों को जोड़ने वाले संपर्क मार्गों की हालत काफी खस्ता है। लोगों को गांव से शहर आने पर अच्छी सड़कें नहीं होने की वजह से काफी परेशानी होती है। प्रदेश की जो मौलिक समस्याएं हैं, उन पर कोई भी राजनीतिक दल बात नहीं करना चाहता है। बस, एक दूसरे को भ्रष्टाचारी, सांप्रदायिक या तुष्टिकरण वाला बताकर वोट हथियाना चाहते हैं।

-संजय मग्गू

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