मणिपुर पिछले कुछ समय से नफरत और हिंसा की आग में झुलस रहा है। यह आग बुझने का नाम नहीं ले रही है। ऐसे में सवाल है, कि इतने लंबे समय से इस हिंसा को बढ़ाने के लिए कौन-से असामाजिक तत्व मिले हुए है इस बारें में राष्ट्रीय जांच एजेंसी की तरफ से बड़ा खुलासा किया गया है।
अपनी आकर्षक संस्कृति और विविधताओं के लिए मशहूर मणिपुर आज आंतक का अड्डा बना हुआ है एक समय था जब यहां लोग घूमने फिरने आते है लेकिन आज मणिपुर की सड़के सुनसान है चारों तरफ हरियाली और खुशियों की जगह गोला बारूद और हथियारों का पहरा है। आज हर किसी इंसान के मन में सवाल है, कि आखिर मणिपुर में यह सब कब बंद होगा ? क्या मणिपुर फिर से पहले जैसा बन पाएगा या आंतक की लपटे उसे राख़ कर देंगी।
मणिपुर में चलती हिंसा के बीच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की तरफ से चौंका देने वाला खुलासा किया गया है।
एनआईए के मुताबिक, मणिपुर में हिंसा को भड़काने के लिए म्यामांर और बांग्लादेश के उग्रवादी समूह हथियार और गोला बारूद पंहुचा रहे है। NIA की जांच रिपोर्ट के मुताबिक, म्यामांर और बांग्लादेश स्थित उग्रवादी समूह भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के इरादें से और देश को आंतरिक रूप से कमजोर बनाने की किए मणिपुर के विभिन्न जातीय समूहों के बीच दरार पैदा करने की साज़िश रच रहे है।
बांग्लादेश और म्यामांर कर रहें सहयोग
इन उग्रवादी संगठनों ने भारत में हिंसा बढ़ाने के लिए भारत में उग्रवादी नेताओं के एक वर्ग के साथ हाथ मिलाया हुआ है इसके लिए म्यामांर और बांग्लादेश के आतंकी संगठनों को चलाने वाले समूह मणिपुर में हथियार, गोला-बारूद और अन्य प्रकार के आतंकवादी चीजों की खरीद के लिए फंडिंग कर रहे है। इन उग्रवादी संगठनों को सीमा पार से तो सहयोग मिल ही रहा है साथ ही भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में सक्रिय अन्य आतंकवादी संगठनों से मदद भी मिल रही है।
शनिवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मणिपुर में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था जिस पर सरकार के खिलाफ राज्य में मौजूदा जातीय अशांति का फायदा उठाने के आरोप थे। एनआईए के मुताबिक, इन सब साजिशों के पीछे म्यामांर और बांग्लादेश के उग्रवादी समूह का हाथ है जो भारत में दंगे भड़काना चाहते है।