Tuesday, December 3, 2024
13.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeChhattisgarhChhattisgarh Election : BJP की वापसी तय करेंगे आदिवासी वोटर?

Chhattisgarh Election : BJP की वापसी तय करेंगे आदिवासी वोटर?

Google News
Google News

- Advertisement -

Chhattisgarh Assembly Election : छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं। सरकार बनाने के लिए वोटरों को लुभाने का काम जारी है। यहां सरकार बनाने में आदिवासी वोटरों की भूमिका अहम है। ऐसे में राजनीतिक दल इन्हें साधने में जुटे हैं। सभी उन्हें पक्ष में करने की कोशिश में लगे हैं। छत्तीसगढ़ आदिवासी बहुल क्षेत्र है। Chhattisgarh Vidhansabaha Chunav में इनके वोट महत्वपूर्ण हैं।

Chhattisgarh Election : 32 प्रतिशत आदिवासी

Chhattisgarh में करीब 32 प्रतिशत अदिवासी जनसंख्या है। आदिवासी समुदाय के आशीर्वाद के बगैर राज्य में सरकार बनाना मुश्किल है। अब तक हुए चुनाव में जिसे उनका साथ मिला, उसे सत्ता मिली है। ऐसे में सभी पार्टियां इन्हें साधने में जुटी हैं। 2018 चुनाव में भाजपा के हार का कारण भी यही था। उन्हें आदिवासी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। इस बार भाजपा किसी भी चूक के लिए तैयार नहीं है। वह आदिवासियों का समर्थन पाने की कोशिश में जुटी है।

Chhattisgarh Election : बड़े नेताओं की रैली

Narendra Modi
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।

Chhattisgarh Vidhansabaha Chunav में BJP बड़े नेताओं को रैली में उतारेगी। विशेषज्ञों के मुताबिक आदिवासी बहुल क्षेत्रों में स्टार प्रचारक रैली करेंगे। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इन क्षेत्रों में रैली की थी। साथ ही पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा भी रैली के हिस्सा बने थे। इसके अलावा आदिवासी इलाकों से पार्टी ने दो परिवर्तन यात्राओं की शुरुआत की है। इस सब को उन्हें लुभाने के लिए भाजपा के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।

29 सीटों पर आदिवासी वोटरों का प्रभाव

90 सदस्यीय छत्तीसगढ़ विधानसभा में 29 सीटें अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं। वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित सीटों में से 25 सीटें जीती थीं। इसी के दम पर सरकार बनाई थी। पार्टी को उम्मीद है कि सरकार की योजनाओं के कारण उसे एक बार फिर आदिवासियों का समर्थन मिलेगा।

क्या कहते हैं चुनाव विश्लेषक

चुनाव विश्लेषक आर कृष्णा दास कहते हैं, ‘आदिवासी मतदाता राज्य में सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वर्ष 2000 में राज्य बनने के बाद 2003 में छत्तीसगढ़ में हुए पहले चुनाव में भाजपा उन आदिवासियों के बीच गहरी पैठ बनाने में कामयाब रही जो कभी कांग्रेस के कट्टर समर्थक माने जाते थे। लेकिन अगले चुनावों में भाजपा उन पर पकड़ खोती गई।’

उन्होंने कहा कि सत्ता विरोधी लहर के अलावा, भाजपा के शीर्ष आदिवासी नेताओं और उनके क्षेत्र के स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय की कमी से बीजेपी को नुकसान हुआ। लंबे समय से चले आ रहे वामपंथी उग्रवाद के कारण पार्टी को आदिवासी क्षेत्र में परेशानी का सामना करना पड़ा।

2003 में भाजपा को मिली थी सफलता

राज्य में वर्ष 2003 में हुए पहले विधानसभा चुनाव के दौरान 90 सदस्यीय सदन में 34 सीटें अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के लिए आरक्षित थीं। भाजपा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को हराकर इनमें से 25 सीटें जीती थी। भाजपा को तब 50 सीटें मिली थी। वहीं कांग्रेस को नौ आदिवासी सीटों पर जीत मिली थी। राज्य में परिसीमन के बाद आदिवासी सीटों की संख्या 29 हो गई।

2008 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 29 में से 19 सीटें जीती और एक बार फिर 50 सीटें जीतकर सरकार बनाई। इस चुनाव में कांग्रेस को 10 आदिवासी सीटों पर जीत मिली थी। बाद में 2013 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी वोट कांग्रेस के पाले में चले गए और कांग्रेस को 29 आदिवासी सीटों में से 18 पर जीत मिली। हालांकि इसके बाद भी कांग्रेस सरकार नहीं बना सकी। कांग्रेस की संख्या 39 तक ही सीमित रहीं और भाजपा ने 11 आदिवासी सीटें जीतकर 49 विधायकों के साथ तीसरी बार सरकार बनाई।

2018 में कांग्रेस ने रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के 15 साल के शासन को समाप्त करते हुए 90 सदस्यीय विधानसभा में 68 सीटें जीतकर शानदार जीत दर्ज की। भाजपा को 15 सीटें, जेसीसी (जे) और बसपा को क्रमशः पांच और दो सीटें मिलीं। 2018 में 29 अजजा सीटों में से कांग्रेस ने 25, भाजपा ने तीन और जेसीसी (जे) ने एक सीट जीतीं। बाद में कांग्रेस ने उपचुनावों में दो और अजजा आरक्षित सीट-दंतेवाड़ा और मरवाही जीत ली।

बीजेपी की वापसी की राह तैयार करेंगे आदिवासी वोटर

दास ने कहा कि राज्य में सत्ता में वापस आने के लिए भाजपा आदिवासी सीटों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। उसने इस बार अपने पुराने नेताओं को मैदान में उतारा है। भाजपा ने अब तक 86 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। इनमें सभी 29 एसटी सीटें भी शामिल हैं। राज्य के छह पूर्व मंत्री भाजपा के प्रमुख उम्मीदवारों में से हैं। इनमें एक मौजूदा विधायक, दो वर्तमान लोकसभा सांसद- जिनमें एक केंद्रीय मंत्री, एक पूर्व केंद्रीय मंत्री, तीन पूर्व विधायक, एक पूर्व आईएएस अधिकारी हैं। छत्तीसगढ़ में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है भाजपा के स्टार प्रचारकों ने राज्य के आदिवासी बहुल इलाकों का दौरा करना शुरू कर दिया है।

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

जीएसटी दरों में बदलाव: सिगरेट और कपड़ों पर बढ़ोतरी, जानें पूरा मामला

GST Rates Revised: Cigarettes, Soft Drinks, and Apparel Tax Hiked: वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद के तहत गठित मंत्री समूह (जीओएम) ने हाल...

PM मोदी और गृह मंत्री शाह का चंडीगढ़ दौरा: नए आपराधिक कानूनों का लॉन्च और लाइव डेमो

PM Modi, Amit Shah Visit Chandigarh for New Laws: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह मंगलवार को चंडीगढ़ के दौरे पर रहेंगे।...

सट्टेबाजी क्या होती है और भारत में लीगल है या नहीं?

सट्टेबाजी (Betting) एक प्रकार का खेल है, जिसमें किसी विशेष परिणाम पर पैसा लगाया जाता है। आमतौर पर, सट्टेबाजी खेलों, जैसे क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी,...

Recent Comments