केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू ने शनिवार को लोकसभा में कहा कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के मुद्दे पर किसी को ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए, जिससे देश की छवि को नुकसान पहुंचे।
सदन में ‘भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षा के जो उपाय हैं, उतने किसी दूसरे देश में नहीं हैं। रीजीजू ने बिना किसी का नाम लिए कहा, ‘‘कभी-कभी ऐसी बातें की जाती हैं, जैसे अल्पसंख्यकों के अधिकार ही नहीं हैं।’’
कुछ विपक्षी नेताओं ने, जिनमें समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव भी शामिल थे, देश में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव का आरोप लगाया था। इसके जवाब में रीजीजू ने कहा कि यूरोपीय संघ के एक वैश्विक सर्वेक्षण में यह पाया गया कि इस क्षेत्र के देशों में 48 प्रतिशत लोग भेदभाव का शिकार हुए हैं, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ जो स्थिति है, वह किसी से छुपी नहीं है। ‘‘आसपास के देशों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ जुल्म होते हैं, तो वह लोग सबसे पहले भारत आते हैं, क्योंकि भारत में सुरक्षा है,’’ रीजीजू ने कहा।
उन्होंने सवाल उठाया, ‘‘ऐसा क्यों कहा जाता है कि अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं हैं?’’ मंत्री ने जोर दिया कि ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए, जिससे देश की छवि खराब हो।
विपक्षी सदस्यों की टोका-टोकी के बीच उन्होंने कहा, ‘‘मैं सीधा-साधा आदमी हूं… अगर मैं पसंद नहीं भी आता हूं तो आपको मुझे कुछ साल तो झेलना पड़ेगा। अगर आपको लगता है कि आप मेरे साथ काम नहीं कर सकते हैं तो प्रधानमंत्री जी को कहिए।’’
रीजीजू ने कहा कि बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर की बातों को गलत तरीके से पेश किया गया, कि उन्होंने हिंदू धर्म को छोड़ा और अब हिंदू धर्म के खिलाफ लड़ना है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के मंत्र के साथ कार्य कर रहे हैं।
मंत्री ने यह भी बताया कि संविधान की भावना के अनुसार, आज एक आदिवासी महिला देश की राष्ट्रपति हैं।