Umar Abdullah Calls Dual Power Centers Disaster for Governance: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्र शासित प्रदेश में दोहरी शासन व्यवस्था को “आपदा को आमंत्रित करना” बताया है। उन्होंने केंद्र से जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल करने का आग्रह किया है। अब्दुल्ला ने यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह द्वारा चुनाव प्रचार के दौरान किए गए वादों का हवाला देते हुए दिया, जिसमें जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की बात कही गई थी।
उमर अब्दुल्ला ने कहा, “किसी भी स्थान पर जब सत्ता के दो केंद्र होते हैं तो यह एक आपदा का कारण बनता है। अगर कई सत्ता केंद्र होंगे तो कोई भी संगठन ठीक से काम नहीं कर पाएगा। जैसे एक खेल टीम में एक कप्तान होता है, वैसे ही किसी सरकार में भी एक ही केंद्र होना चाहिए।” उन्होंने दिल्ली का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां सरकार और उपराज्यपाल के बीच सत्ता का साझा अनुभव अच्छा नहीं रहा।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर एक बड़ा और रणनीतिक क्षेत्र है, जो चीन और पाकिस्तान की सीमाओं से जुड़ा हुआ है, इसलिए यहां एकीकृत शासन की आवश्यकता है। अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू-कश्मीर को कोई फायदा नहीं हुआ है।
अब्दुल्ला ने यह भी बताया कि 2019 में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था। इसके बाद से, प्रदेश में विकास और शासन में कोई खास सुधार नहीं हुआ है।
उन्होंने यह स्वीकार किया कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए उनके पास एक योजना है, लेकिन अभी इसे सार्वजनिक नहीं करना चाहते।
अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि राज्य का दर्जा बहाल करने का निर्णय केवल प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को लेना है। साथ ही, उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में चुनावी प्रक्रिया में सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद ही चुनाव संभव हो पाए थे, लेकिन राज्य का दर्जा बहाल करने के मुद्दे पर न्यायालय का रुख स्पष्ट नहीं रहा।
अब्दुल्ला ने कहा कि राज्य का दर्जा बहाल करने का वादा केंद्र सरकार ने चुनाव प्रचार के दौरान किया था, इसलिए अब इसे पूरा किया जाना चाहिए।