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वसुंधरा गुट के 15 समर्थकों को मिला टिकट

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राजस्थान में बीजेपी ने दूसरी लिस्ट में 83 प्रत्याशियों के नाम घोषित किए है गौरतलब है कि अगले महीने 25 नवंबर को विधानसभा के चुनाव होने हैं जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है सियासी पारा भी पूरे तूफान पर है।

 बीजेपी ने 21 अक्टूबर को उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की जिसमें 83 नाम का ऐलान किया गया इससे पहले पार्टी ने पहली लिस्ट 13 दिन पहले जारी की थी जिसमें सात सांसदों को टिकट दिया गया था हालांकि बीजेपी को इसका अंदरुनी विरोध का सामना भी करना पड़ा, लगता है शायद इस विरोध को देखते हुए दूसरी लिस्ट में एक भी सांसद को मैदान में नहीं उतारा गया।

राजस्थान बीजेपी की दूसरी लिस्ट में 83 लोगों में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे,पूर्व अध्यक्ष सतीश पूनिया, नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ जैसे कद्दावर नामों को शामिल किया गया हालांकि पहली लिस्ट में बड़े नेताओं में से कोई खास नाम सामने नहीं आया था।

 इन नेताओं में विद्यानगर सीट से राजवीर शामिल है राजवी का टिकट कट जाने पर उनके समर्थकों ने जमकर विरोध किया और राजवीर वसुंधरा खेमे के माने जाते हैं वह वसुंधरा सिंधिया के काफी करीबी नेता है और पूर्व उपराष्ट्रपति भैंरो सिंह शेखावत के दामाद भी हैं उनके टिकट कटने के बाद सियासी गलियारों में यही चर्चा थी कि भाजपा अपनी दूसरी लिस्ट में कहीं बड़े नेताओं का टिकट काट सकती है और इसी को लेकर नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ का बयान भी सामने आया था उन्होंने तो यहां तक कह दिया था कि पार्टी उनका भी टिकट काटेगी तो विरोध नहीं करेंगे लेकिन दूसरी लिस्ट में वसुंधरा,नरपत सिंह राजवी, राठौर और पूनिया जैसे बड़े नेताओं के नाम को शामिल किया गया और पार्टी ने संदेश दिया कि सभी गुटों को प्राथमिकता देकर दे रही है।

राजस्थान में साल 2023 में चुनाव के लिए बीजेपी की तरफ से जो लिस्ट जारी की गई है उनका पिछले चुनाव पिछले विधानसभा चुनाव से तुलना की जाए तो वसुंधरा राजे की ज्यादा पार्टी ने सुनी नहीं है 12 दिन पहले जारी की गई पहली लिस्ट की तुलना में दूसरी लिस्ट में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का सबसे ज्यादा प्रभाव दिखा उनके उनके करीबों में लगभग 15 लोगों को टिकट दिया गया जिसमें कालीचरण सराफ प्रताप सिंह भी नरपत राजवी, वासुदेव देवनानी, कैलाश वर्मा, मंजू बाघमार, सिद्धि कुमारी, संतोष अहलावत, गोविंद प्रसाद, समाराम गरासिया, कालूराम मेघवाल, कैलाश मीना, अनीता पटेल, नरेंद्र नागर, बिहारी लाल बिश्नोई जैसे नाम है।

दूसरी लिस्ट में आठ विधायकों के टिकट काटे गए जिनमें सूरसागर से सूर्यकांता व्यास, चित्तौड़गढ़ से चंद्रभान, मकराना से रुपाराम मुरवाटिया, सूरजगढ़ से सुभाष पूनिया का नाम आता है।

 चित्तौड़गढ़ से चंद्रभान आक्‍या के टिकट काटे जाने पर समर्थकों में विरोध देखा जा रहा है।बीजेपी ने इस सीट से नरपत सिंह राजवी को मैदान में उतार दिया है जो पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत के दामाद है हालांकि नरपत सिंह राजवीर पहले विद्यानगर सीट से चुनाव लड़ते थे जहां से इस बार दिया कुमारी मिर्धा को मैदान में उतारा गया है।

साल 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 73 सीटों पर जीत हासिल हुई थी अब इस चुनाव में पार्टी किसी भी तरह से जीत हासिल करना चाहती है पहली लिस्ट के बाद पार्टी के अंदर जो विरोध देखा गया उसे देखते हुए पार्टी ने डैमेज कंट्रोल करते हुए दूसरी लिस्ट में कई बड़े नेताओं को चुनावी मैदान में उतार दिया

बीजेपी की दूसरी लिस्ट के साथ ही अब तक 124 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा हो चुकी है 200 सीटों वाली राजस्थान में अब तक 76 नाम घोषित करने हैं तो वहीं कांग्रेस उम्मीदवारों के नाम का ऐलान अभी होना बाकी है पार्टी की तरफ से अब तक 33 नाम घोषित किए गए हैं।

कांग्रेस की तरफ से कहा गया था कि वह सितंबर में ही अपनी लिस्ट जारी कर देगी लेकिन देरी हो गई है 25 नवंबर को वोटिंग है और 3 दिसंबर को मतगणना होगी।

साल 2018 में भाजपा सत्ता से बाहर हो गई थी लेकिन बीजेपी के कई उम्मीदवारों ने सबसे ज्यादा वोटो से जीतने का रिकॉर्ड भी बनाया था कैलाश चंद्र मेघवाल ने शाहपुरा भीलवाड़ा सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार को रिकॉर्ड 74542 वोटो से हराया थातो वहीं दूसरे स्थान पर कांग्रेस के पृथ्वीराज रहे थे जिन्होंने बीजेपी प्रत्याशी को 73306 वोटो से शिकस्त दी थी 200 विधानसभा सीटों वाले राजस्थान में चुनाव जीतने के लिए किसी भी पार्टी को 101 सीटों का बहुपद का आंकड़ा पार करना पड़ता है 2018 के चुनाव की बात करें तो बीजेपी को करारी शिकस्त मिली थी और कांग्रेस की अशोक गहलोत की सरकार 5 सालों के बाद फिर से सप्ताह में लौटी थी जो राजस्थान का हमेशा से रिवाज रहा है इस चुनाव में जहां कांग्रेस को 100 सिम मिली थी तो वहीं भाजपा ने 73 सीटों पर जीत हासिल की थी पिछले विधानसभा चुनाव से पहले साल 2013 के चुनाव में बीजेपी को 183 सिम मिली थी और 2018 में बीजेपी को इतिहास 73 सीटें इसलिए मिली थी क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी ने खुद चुनाव से ठीक पहले 15 रेलियां निकाली थी।

राज्य में एसटी के लिए 25 और एससी के लिए 34 सीटें आरक्षित 2013 के चुनावी नतीजे पर नजर डालें तो प्रदेश में बीजेपी ने एससी के लिए सुरक्षित 34 में से 32 सीटों पर जीत हासिल की और सरकार बनाई हालांकि 2018 में जो चुनाव हुए उसमें यह संख्या घटकर 11 रह गई थी तो वहीं कांग्रेस में साल 2013 के विधानसभा चुनाव में सुरक्षित सीटों पर एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कि कांग्रेस साल 2018 में हुए चुनाव में एससी के लिए सुरक्षित 21 सीटों पर जीत हासिल कर पाई थी एसटी के लिए सुरक्षित सीटों पर कांग्रेस बीजेपी प्रभारी पड़ी थी।

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