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HomeIndiaराजस्‍थान विधानसभा चुनाव 2023- बागी बिगाड़ रहें है सत्‍ता का समीकरण

राजस्‍थान विधानसभा चुनाव 2023- बागी बिगाड़ रहें है सत्‍ता का समीकरण

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राजस्थान में जैसे-जैसे चुनाव की तारीखें नजदीक आ रही है वैसे ही कई सीटों पर लड़ाई भी दिलचस्प हो गई है।

प्रदेश की 200 सीटों में से ऐसी सीटें है जहां निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर बागी नेताओं ने नामांकन दाखिल करके कांग्रेस और बीजेपी का सियासी समीकरण उलझा दिया है।

दरअसल ज्यादातर वे लोग हैं जो पूर्व विधायक,पूर्व मंत्री या वर्तमान विधायक है और विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर पार्टी से बगावत कर बैठे हैं और ताल ठोक कर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भी भर दिया है।

झोटवाड़ा खंडेला ऐसी सीट हैं जहां निर्दलीय नेताओं की सभा में भीड़ उमड़ पड़ी तो वहीं इन सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस की सभाएं सूनी पड़ी रही, इस भीड़ को देखते हुए दोनों ही पार्टियों ने अंदर ही अंदर रूठों को मनाने की कोशिश तेज कर दी है।

माना जा रहा है कि लगभग 33 सीटों पर बागी नेताओं ने बीजेपी और कांग्रेस की नींदें उड़ा रखी है

आपको कुछ ताकतवर नेताओं के नाम बताते हैं जो बगावत पर उतरकर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं।

झोटवाड़ा राजपाल सिंह शेखावत बीजेपी के बागी नेता है।

प्रदेश की 41 प्रत्याशियों की लिस्ट जारी हुई, जिसमें सबसे बड़ी विधानसभा सीट झोटवाड़ा से जयपुर ग्रामीण के सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को प्रत्याशी बनाया गया यहां से राजपाल सिंह शेखावत ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भरा है। वह बीजेपी के बागी नेताओं की लिस्ट में है हालांकि वह इस क्षेत्र से पहले दो बार विधायक भी रह चुके हैं सरकार में मंत्री भी रहे हैं लेकिन बीजेपी ने इस बार उनका टिकट काट दिया और शेखावत जी ने नाराजगी में निर्दलीय पर्चा भर दिया आपको बता दें कि झोटवाड़ा विधानसभा सीट जयपुर ग्रामीण में आती है जहां से 420000 वोटर है। विधानसभा चुनाव में बीजेपी का गढ़ माना जाता है इस सीट को। बीजेपी के लिए इस सीट पर मुश्किल खड़ी हो रही है।

तो वहीं वसुंधरा राजे के विश्वासपात्र यूनुस खान भी कुछ दिनों पहले पार्टी छोड़ने का ऐलान कर चुके हैं उन्हें डीडवाना विधानसभा सीट से टिकट नहीं दिया गया उन्होंने तभी कह दिया था कि वह डीडवाना से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे अब बीजेपी में इसको लेकर घमासान मचा हुआ है वह पार्टी का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक चेहरा होने के साथ ही पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के विश्वास पात्र माने जाते हैं फिर भाजपा सरकार में परिवहन मंत्री भी रहे थे।

युवा नेता रविंद्र भाटी जिन्होंने कुछ दिनों पहले ही बीजेपी का दामन थामा था पार्टी की तरफ से उन्हें टिकट नहीं दिया गया लेकिन उन्होंने नौ दिन में ही बगावत कर दी और फिर बाड़मेर जिले की शिव विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर सियासी रण में उत्तर पड़े उन्होंने जब रैली की तो हजारों की तादाद में भीड़ जमा हु,जिसने कांग्रेस और भाजपा दोनों की ही चिंता को बढ़ा दिया साल 2019 में एबीवीपी की तरफ से छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन उन्हें तब भी टिकट नहीं मिला आंदोलन और आक्रामक रवैया रखने वाले रविंद्र भाटी युवाओं के बीच खास पहचान रखते हैं।

सीकर की खंडेला विधानसभा सीट से बीजेपी के दो बार विधायक रह चुके पूर्व चिकित्सा राज्य मंत्री रहे नेता बंशीधर बागी हो गए हैं वह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं क्योंकि इस सीट पर भाजपा ने सुभाष मील को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है सुभाष मिलने कांग्रेस पार्टी से टिकट न मिलने के बाद बीजेपी ज्वाइन की और बीजेपी ज्वाइन करते ही 24 घंटे के अंदर उन्हें खंडेला सीट का प्रत्याशी घोषित कर दिया गया।

तो वहीं बाड़मेर सीट पर टिकट मिलने की उम्मीद लगाए बैठी डॉक्टर प्रियंका चौधरी को भी टिकट नहीं दिया गया फिर उन्होंने निर्दलीय नामांकन भर दिया और कहां है कि जनता मुझे जरूर वोट देगी ऐसी मुझे उम्मीद है उनका कहना है कि मेरे दादा के बाद मैंने पार्टी की 15 सालों से सेवा की दिन-रात पूरी निष्ठा से मेहनत की साल 2018 में भी मुझे टिकट नहीं दिया गया फिर भी मैंने संगठन का काम पूरी निष्ठा के साथ किया लेकिन इस बार भी बीजेपी ने मुझे टिकट नहीं दिया आपको बता दे कि बीजेपी की तरफ से दीपक कड़वासरा को प्रत्याशी बनाया गया है।

तो वहीं बसेड़ी विधानसभा से कांग्रेस ने अपने सीटिंग विधायक खिलाडीलाल बैरवा को टिकट नहीं दिया और उनकी जगह संजय जाटव को उम्मीदवार बना दिया। अब खिलाड़ी लाल बेरवा बगावत पर उतर आए हैं,उन्होंने राज्य अनुसूचित जाति आयोग के पद से इस्तीफा दे दिया और इस सीट पर निर्दलीय नामांकन भर दिया साल 2018 के चुनाव में बैरवा भाजपा क्षेत्रीय जाटव को 17556 वोटो से हराया था बीजेपी ने इस सीट से सुखराम कोली को उम्मीदवार बनाया है।

साल 2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो 13 निर्दलीय उम्मीदवार जीत कर आए थे उन्हें कुल वोट का 9.47 फीसदी वोट मिले थे सरकार बनने से लेकर सरकार बचाने तक में निर्दलीय विधायकों की काफी अहम भूमिका भी रही थी इस चुनाव में भी कई सीटें ऐसी है जिन पर विधायक अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।

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