धनतेरस, जिसे “धन त्रयोदशी” भी कहा जाता है, हर साल कार्तिक मास की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है, जो आयुर्वेद के देवता और धन के प्रतीक हैं।
सांस्कृतिक मान्यता
भारतीय संस्कृति में धनतेरस को समृद्धि और ऐश्वर्य का दिन माना जाता है। इसे दीपावली के त्यौहार की शुरुआत माना जाता है, जो पांच दिनों तक चलता है। इस दिन विशेष रूप से बर्तन और आभूषण खरीदने की परंपरा है, क्योंकि मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई वस्तुएं घर में धन और खुशहाली लाती हैं।
पूजा विधि
धनतेरस पूजा की संपूर्ण विधि
- घर की सफाई: इस दिन अपने घर की अच्छे से सफाई करें। साफ-सफाई से लक्ष्मी माता का स्वागत होता है।
- दीप जलाएं: पूजा स्थान पर दीपक जलाएं। यह अंधकार को दूर करने का प्रतीक है और माता लक्ष्मी का स्वागत करता है।
- पूजा सामग्री:
- फूल: गुलाब या मोगरे के फूल अर्पित करें।
- फल: मौसमी फल जैसे सेब, संतरा और अंगूर रखें।
- धनिया: धनिया के बीज भी अर्पित करें, जो समृद्धि का प्रतीक है।
- आरती और भोग: भगवान धन्वंतरि की आरती करें और मिठाई का भोग लगाएं। परिवार के सभी सदस्य मिलकर आशीर्वाद लें।
खरीददारी की परंपरा
धनतेरस पर खरीदारी का महत्व
इस दिन बर्तन, सोने और चांदी के आभूषण खरीदना एक विशेष परंपरा है। यह माना जाता है कि इस दिन खरीदी गई वस्तुएं घर में समृद्धि और खुशियों का संचार करती हैं।
विशेष खरीददारी टिप्स
- बर्तन: पारंपरिक बर्तन जैसे तांबे और पीतल के बर्तन खरीदें।
- आभूषण: सोने या चांदी के छोटे गहने खरीदना फायदेमंद रहता है।
- फैशन: ट्रेंडिंग डिजाइन के आभूषण भी अच्छे विकल्प हैं।
खास तथ्य
धनतेरस के अनोखे तथ्य
- इतिहास: धनतेरस का इतिहास लगभग 6000 साल पुराना है। इसे सबसे पहले राजा इंद्र ने मनाया था।
- धन्वंतरि: भगवान धन्वंतरि ने समुद्र मंथन से अमृत के साथ स्वर्ण, औषधियां और बर्तन निकाले थे।
- आधुनिक मान्यता: आज के दौर में, धनतेरस पर इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य उपभोक्ता वस्तुओं की भी खरीदी का चलन बढ़ गया है।
धनतेरस की ढेर सारी शुभकामनाएं! इस अवसर पर समृद्धि और खुशियों से भरा आपका जीवन हो!