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Greg Barclay: बर्कले बोले, क्रिकेट को मौजूदा संकट से बाहर निकाल सकेत हैं शाह

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अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) के पूर्व अध्यक्ष ग्रेग बार्कले (Greg Barclay) का मानना है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के सचिव जय शाह में क्रिकेट को मौजूदा संकट से बाहर निकालने और इसे अगले स्तर पर ले जाने की क्षमता है। हालांकि, बार्कले ने यह भी कहा कि शाह को क्रिकेट को ‘भारत के दबदबे’ से बाहर निकालने की जरूरत है ताकि खेल का वैश्विक विकास संभव हो सके।

बार्कले (Greg Barclay) ने एक दिसंबर को अपने चार साल के कार्यकाल के बाद आईसीसी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया। चैंपियंस ट्रॉफी के आयोजन स्थलों को लेकर चल रहे मौजूदा संकट के बीच अपने पद से हटने वाले बार्कले ने क्रिकेट को चुनौतीपूर्ण समय से गुजरता हुआ माना। उन्होंने द टेलीग्राफ से बातचीत में कहा, “जय शाह ने भारत को क्रिकेट के एक अलग स्तर पर पहुंचाया है और उनके पास आईसीसी के साथ ऐसा करने का शानदार मौका है। हालांकि, उन्हें भारत के दबदबे से बाहर निकलना होगा।”

बार्कले (Greg Barclay) ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत क्रिकेट में एक महत्वपूर्ण योगदान देता है और इसके बिना खेल का वैश्विक विकास संभव नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा, “हम खुशकिस्मत हैं कि भारत इस खेल का हिस्सा है, लेकिन एक देश के पास इतनी शक्ति और प्रभाव होने से कई बार दूसरे देशों का विकास प्रभावित होता है। यह स्थिति खेल के लिए सहायक नहीं है।”

इसके अलावा, बार्कले (Greg Barclay) ने कहा कि शाह में भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी आगे ले जाने की क्षमता है। उनका मानना है कि भारत को छोटे और उभरते देशों को अवसर देने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करना चाहिए, जिससे क्रिकेट को एकजुट करने और आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। भारत का प्रभाव वैश्विक स्तर पर नए क्षेत्रों और बाजारों को खोलने में सहायक हो सकता है, जिससे आईसीसी के सदस्यों को लाभ मिल सकता है।

बार्कले (Greg Barclay) ने मौजूदा अंतरराष्ट्रीय कैलेंडर के अत्यधिक व्यस्त होने पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि क्रिकेट के शिखर पर रहते हुए भी, मैं दुनिया भर में हो रहे मैचों के बारे में पूरी जानकारी नहीं रख पाता।” उन्होंने इस बात को भी स्वीकार किया कि खेल का कैलेंडर इतना व्यस्त हो गया है कि उसे संभालना अब बहुत मुश्किल हो गया है।

अंत में, बार्कले ने अफगानिस्तान से संबंधित मुद्दों पर भी अपने विचार रखे। उन्होंने तालिबान के शासन के बाद अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड द्वारा महिला क्रिकेट को भंग करने के बावजूद उसे पूर्ण सदस्यता बनाए रखने के फैसले का बचाव किया। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड की गलती नहीं थी, बल्कि वहां की राजनीतिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया था।

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