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त्रीशा और गायत्री ने विश्व टूर फाइनल्स में जगह पक्की की

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राष्ट्रमंडल खेलों की कांस्य पदक विजेता बैडमिंटन जोड़ी त्रीशा जॉली और गायत्री गोपीचंद ने 2024 बीडब्ल्यूएफ (बैडमिंटन विश्व महासंघ) विश्व टूर फाइनल्स के लिए अपनी जगह पक्की कर ली है। मंगलवार को जारी बीडब्ल्यूएफ रैंकिंग के अनुसार, यह भारतीय जोड़ी महिला युगल वर्ग में विश्व टूर फाइनल्स में हिस्सा लेने वाली एकमात्र भारतीय खिलाड़ी बनेगी। इन दोनों के शानदार और निरंतर प्रदर्शन ने उन्हें इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में शीर्ष आठ जोड़ियों में स्थान दिलाया है।

हालांकि, त्रीशा और गायत्री की जोड़ी इस साल चीन मास्टर्स के दूसरे दौर में जल्दी बाहर हो गई थी, लेकिन पूरे सत्र में उनके अच्छे प्रदर्शन ने उन्हें यह उपलब्धि हासिल करने में मदद की। इस वर्ष उन्होंने सिंगापुर ओपन और मकाऊ ओपन के सेमीफाइनल तक का सफर तय किया था, हालांकि वे दोनों ही प्रतियोगिताओं में फाइनल में पहुंचने से चूक गईं। उनके प्रदर्शन ने उन्हें विश्व टूर फाइनल्स के लिए क्वालीफाई करने का अवसर प्रदान किया।

चीन मास्टर्स में इस भारतीय जोड़ी को प्री-क्वार्टर फाइनल में दुनिया की नंबर एक जोड़ी, लियू शेंग शू और टैन निंग से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। हालांकि, वे दोनों उन्हें 16-21, 11-21 के स्कोर से हार गए। इसके बावजूद, त्रीशा और गायत्री का पूरे साल का प्रदर्शन बेहतरीन था और यह उनके खेल के प्रति समर्पण और मेहनत का परिणाम था।

भारत की पीवी सिंधू 2018 में बीडब्ल्यूएफ विश्व टूर फाइनल्स जीतने वाली एकमात्र भारतीय खिलाड़ी हैं। ऐसे में त्रीशा और गायत्री का इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में स्थान बनाना भारतीय बैडमिंटन के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

त्रीशा जॉली ने बीडब्ल्यूएफ विश्व टूर फाइनल्स के लिए क्वालीफाई करने पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, “मुझे लगता है कि इस तरह के प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में भाग लेना एक सुखद अहसास है। हमने टीवी पर इस प्रतियोगिता में सभी शीर्ष खिलाड़ियों को प्रतिस्पर्धा करते हुए देखा है, इसलिए इसमें क्वालीफाई करना और इसमें भाग लेना अविश्वसनीय है। हम हांगझोउ में चयनित होने पर बहुत भाग्यशाली और खुश हैं।”

त्रीशा ने आगे कहा, “यह नॉकआउट टूर्नामेंट नहीं है। इसमें ग्रुप चरण है और हम शीर्ष खिलाड़ियों के खिलाफ अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश करेंगे।”

बीडब्ल्यूएफ विश्व टूर फाइनल्स एक प्रतिष्ठित टूर्नामेंट है जिसमें केवल वर्ष की शीर्ष आठ जोड़ियों को ही प्रतिस्पर्धा करने का अवसर मिलता है। इस प्रतियोगिता में भाग लेना खिलाड़ियों के लिए एक बड़े सम्मान की बात होती है, और त्रीशा तथा गायत्री का इसमें भाग लेने का मौका पाना उनके करियर की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

भारत में बैडमिंटन की बढ़ती हुई लोकप्रियता और खिलाड़ियों की निरंतर मेहनत से देश को यह उम्मीदें हैं कि आने वाले वर्षों में और अधिक भारतीय खिलाड़ी इस प्रकार के बड़े टूर्नामेंट्स में सफलता प्राप्त करेंगे। त्रीशा और गायत्री का यह कदम न केवल भारतीय बैडमिंटन की सफलता की ओर एक और कदम है, बल्कि यह युवा खिलाड़ियों को प्रेरित भी करता है कि वे भी अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से इस प्रकार के प्रतिष्ठित टूर्नामेंट्स में जगह बना सकते हैं।

इस तरह, त्रीशा और गायत्री की जोड़ी ने न केवल अपनी मेहनत से यह सफलता प्राप्त की, बल्कि भारतीय बैडमिंटन के लिए एक नई उम्मीद और प्रेरणा का स्रोत भी बनीं हैं।

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