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First Indigenous Chip: पहला स्वदेशी चिप-आधारित 4जी आधार शिविर सेना में शामिल

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Indian Army Inducts First Indigenous Chip-Based 4G Mobile Base Station : भारतीय सेना लगातार खुद को अपग्रेड करने में जुटी है। आयुद्ध सामग्रि से लेकर टेक तक भारतीय सेना सभी क्षेत्रों में अपग्रेडेशन ला रही है। खास बात यह है कि सेना अब विदेशी तकनीक आयात करने की जगह स्वदेशी तकनीकों को ज्यादा तवज्जो दे रही है। इसी क्रम में रविवार को भारतीय सेना ने पहला स्वदेशी चिप-आधारित 4जी मोबाइल आधार शिविर  (First Indigenous Chip) शामिल किया है।

First Indigenous Chip:सिग्नलट्रॉन ने बनाई तकनीक

बता दें कि भारतीय सेना ने चिप-आधारित 4जी मोबाइल आधार शिविर (First Indigenous Chip) को सिग्नलट्रॉन (Signaltorn) कंपनी से खरीदा है। खास बात यह है कि सिग्नलट्रॉन भारतीय कंपनी है। सेना ने गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) पोर्टल के माध्यम से बैंगलोर की कंपनी सिग्नलट्रॉन से इस तकनीक को खरीदा है। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी मीडिया से साझा की है।

भारतीय चिप पर सिस्टम का संचालन

सिग्नलट्रॉन के संस्थापक हिमांशु खासनीस ने बताया है कि सह्याद्रि एलटीई आधार शिविरों में प्रयुक्त चिप (First Indigenous Chip) सिग्नलचिप द्वारा विकसित की गई है। खासनीस और उनकी टीम ने 2010 में 4जी और 5जी नेटवर्क के लिए चिप बनाने के लिए एक फैबलेस सेमीकंडक्टर कंपनी सिग्नलचिप की स्थापना की थी। खासनीस ने कहा कि यह पहली बार है जब जटिल संचार तकनीक के लिए भारतीय चिप पर चलने वाला एक भारतीय सिस्टम सेना में शामिल किया गया है। स्वदेशी चिप का उपयोग करने से इसके संचालन में सिस्टम की सुरक्षा पर उच्च स्तर का नियंत्रण मिलता है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने पिछले वर्ष 4जी एलटीई एनआईबी (नेटवर्क इन ए बॉक्स) समाधान की आपूर्ति के लिए जीईएम पर बोली लगाई थी।

स्वदेशी क्षमताओं पर जोर

भारतीय थल सेना अध्यक्ष जनल मनोज पांडे ने कहा था कि हम भविष्य की रक्षा चुनौतियों और स्वदेशी क्षमताओं को विकसित करने पर जोर दे रहे हैं। जनरल पांडे के अनुसार अब अंतरिक्ष, साइबर और सूचना प्रणाली जैसे नए क्षेत्रों तक युद्ध की सीमाएं पहुंच गई हैं। ऐसे में भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए भारत को स्वदेशी क्षमताएं विकसित करने पर जोर देना चाहिए। जनरल पांडे ने कहा कि भारत को अब स्वदेशी सैन्य क्षमताओं को विकसित करने की आवश्यकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कोई भी देश अपनी अत्याधुनिक तकनीक को साझा नहीं करना चाहेगा। आधुनिक युद्धों को देखें तो इनकी पहुंच अब अंतरिक्ष, साइबर और सूचना तंत्र तक हो चुकी है। ऐसे में सेनाओं की ताकत भी बढ़ रही है। उन्होंने युद्ध के मैदान में अत्याधुनिक तकनीक के इस्तेमाल पर जोर देते हुए कहा कि आने वाले समय में कोई भी देश हमारे साथ अपनी नवीनतम, उन्नत और मारक तकनीक को साझा नहीं करेगा। आर्मी चीफ ने कहा कि अगर हम ऐसी तकनीक के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहे तो कई क्षेत्रों में पीछे छूट सकते हैं।

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