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AI युग में GPAI की भूमिका और भारत का नजरिया

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शशि शेखर वेंपती

आज के समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। तकनीक हमारी बुद्धिमत्ता को नई परिभाषा दे रही है। ऐसे में, 2020 में शुरू हुई ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GPAI) एक अहम मंच बन गया है। इसका उद्देश्य एआई के जिम्मेदार और नैतिक उपयोग को सुनिश्चित करना है। GPAI चार मुख्य क्षेत्रों पर केंद्रित है: जिम्मेदार एआई, डेटा का समुचित उपयोग, रोजगार का भविष्य, और नवाचार।

इस साल भारत ने GPAI की अध्यक्षता करते हुए “सभी के लिए एआई” का लक्ष्य रखा। भारत जैसे बड़े और विविध देश में एआई केवल व्यवसाय ही नहीं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार जैसे क्षेत्रों में भी सुधार ला सकता है। सर्बिया में आयोजित GPAI सम्मेलन के दौरान भारत ने एआई के लाभों और संभावनाओं पर चर्चा की।

भारत में तकनीकी विकास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “एआई को लोकतांत्रिक बनाने” की सोच से प्रेरित है। इस दृष्टिकोण ने भाषा की बाधाओं को तोड़ने वाले उपकरणों जैसे “भाषिणी” के विकास को बढ़ावा दिया है। भारत एआई परियोजनाओं में दुनिया में तीसरे स्थान पर है और जनरेटिव एआई (जेनएआई) में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

भारत की एआई सफलता सरकार की मजबूत पहलों पर आधारित है। इंडिया एआई मिशन के तहत ₹10,300 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया है, जिससे बड़े भाषा मॉडल (LLMs), गवर्नेंस फ्रेमवर्क, और स्टार्टअप्स को सहयोग मिल रहा है। एआई के लिए बड़े पैमाने पर डेटा की आवश्यकता है, और भारत की भाषाओं और संस्कृतियों की विविधता को ध्यान में रखते हुए सही डेटा सेट्स बनाना जरूरी है। इसके लिए एक सार्वजनिक डेटा बेस तैयार किया जा रहा है, जो सभी भारतीयों के लिए उपयोगी एआई समाधान प्रदान करेगा।

बुनियादी ढांचे के विकास में भी भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। सरकार ने 10,000 GPUs वाले सुपरकंप्यूटर की योजना बनाई है, जो बड़े मॉडल्स को विकसित करने में मदद करेगा। इसके अलावा, इंडिया एआई इनोवेशन सेंटर नई तकनीकों और अनुसंधान पर काम कर रहा है।

अन्य प्रमुख पहलों में इंडिया एआई स्टार्टअप फाइनेंसिंग, सार्वजनिक डेटा सेट्स के लिए इंडिया एआई डेटासेट्स प्लेटफॉर्म, और छोटे शहरों में एआई शिक्षा के विस्तार के लिए इंडिया एआई फ्यूचरस्किल्स प्रोग्राम शामिल हैं। #DataDaan पहल के माध्यम से AI4India ने लोगों को डेटा सेट्स में योगदान देने के लिए प्रेरित किया है, जिसका उद्देश्य भाषाओं और संस्कृतियों की विविधता को समेटते हुए समावेशी डेटा पूल बनाना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2047 तक विकसित भारत के विजन को पूरा करने में एआई एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। सर्बिया के बेलग्रेड सम्मेलन ने यह दिखाया कि भारत तकनीकी और नीतिगत स्तर पर एआई नेतृत्व कर रहा है।

लेखक टेक्नोलॉजी और पॉलिसी एक्सपर्ट हैं

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