गाजियाबादl पूजा अधिनियम की अवमानना के विरोध में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के आवाहन पर आज जिला व महानगर अल्पसंख्यक विभाग ने मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय को जिला अधिकारी के माध्यम से ज्ञापन दिया। सलीम अहमद ने ज्ञापन देकर सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य माननीय न्यायाधीश जी से मांग की है कि 28 फरवरी को लखनऊ की ज़िला अदालत ने ऐतिहासिक टीले वाली मस्जिद को मंदीर बताकर उसे हिंदू समाज को सौंप देने की मांग वाली एक हिंदुत्ववादी संगठन द्वारा दायर याचिका को स्वीकार कर लिया है।
दायर याचिका का स्वीकार
आपकी संज्ञान में यह भी होगा की पूजा स्थल अधिनियम 1991 स्पष्ट तौर पर कहता है कि 15 अगस्त 1947 के दिन तक पूजा स्थलों का जो चरित्र है उसमें कोई बदलाव नहीं हो सकता और ना ही बदलाव की मांग करने वाली याचिका किसी कोर्ट, ऑथोरिटी या न्यायाधिकरण में स्वीकार भी की जा सकती है। ऐसे में लखनऊ ज़िला अदालत द्वारा हिंदुत्ववादी पक्ष द्वारा दायर याचिका का स्वीकार किया जाना पूजा स्थल अधिनियम 1991 की अवमानना है। अतः आपसे निवेदन है कि अपनी संवैधानिक ज़िम्मेदारी का निर्वहन करते हुए उक्त फैसला सुनाने वाले जज के खिलाफ़ अनुशासनात्मक कार्यवाही करना सुनिश्चित करें। महानगर अध्यक्ष वली हसन ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं के माध्यम से अल्पसंख्यक समाज के इबादतगाहों के खिलाफ अदालतों में वाद दायर करवा रहे हैं।जब की देश में पूजा अधिनियम है।
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अधिनियम में स्पष्ट उल्लेख है कि १८४७ में जो जिस धर्म का उपासना स्थल है उसको संरक्षण प्रदान किया जाए। माननीय मुख्य न्यायाधीश जी से अनुरोध करते हैं कि उपासना अधिनियम कानून की सुरक्षा की जाए।ज्ञापन देने वालों में युवा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष आसिफ सैफी, मनव्वर मलिक, फरमान चौधरी, विक्रान्त चौधरी,अलीजान सैफी, शाहरुख, फईम अहमद, सुनील भारती, इमरान मलिक,मो मोहसिन, सोहेल सैफी, जावेद, सलमान चौधरी,आकिब, एडवोकेट सरदार मनमोहन सिंह, धर्मेंद्र सिंह, मुकेश आदि व्यक्तिगत उपस्थित रहे।
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