संभल में जिला प्रशासन(Sambhal well:) ने संभल कोतवाली पुलिस थाना क्षेत्र अंतर्गत कोट पूर्वी में प्राचीन मृत्यु कूप की खुदाई और जीर्णोद्धार का काम बृहस्पतिवार को शुरू कर दिया है। इस पहल का उद्देश्य संभल में पुराणों में वर्णित, अति प्राचीन और धार्मिक महत्व के माने जाने वाले कुओं की पहचान करना और उनका संरक्षण करना है।
स्थानीय लोगों के (Sambhal well:)अनुसार, वर्षों पूर्व इन कुओं को छोड़ दिया गया था और मलबे से भरकर इन्हें पाट दिया गया। ये कुएं न केवल ऐतिहासिक महत्व के हैं, बल्कि पवित्र स्थल भी माने जाते हैं। लोगों की मान्यता है कि इन कुंओं में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। क्षेत्र के पार्षद गगन वार्ष्णेय ने कहा, “आज संभल के ऐतिहासिक मृत्यु कूप की खुदाई शुरू की गई है। यह बहुत प्राचीन कूप है और इसका जीर्णोद्धार नगर पालिका के सहयोग से किया जा रहा है। मृत्यु कूप को लेकर मान्यता है कि यहां स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।”
संभल(Sambhal well:) की उपजिलाधिकारी (एसडीएम) वंदना मिश्रा ने बताया, “आज हमने एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) की टीम के साथ हौज भद्दे सराय स्थित भद्रिका आश्रम तीर्थ और चतुर्मुख कूप का जायजा लिया है।” उन्होंने कहा कि यहां एक ढांचा मिला है, जिसे एएसआई की टीम ने देखा है और इसका अध्ययन करने के बाद टीम बताएगी कि यह कितना पुराना है और इसका संरक्षण कैसे किया जाए। मिश्रा ने बताया, “इसके बाद हम आलम सराय स्थित ब्रह्म कूप आए, जिसे चतुर्मुख कूप भी कहते हैं। यह पत्थरों से बना है। एएसआई की टीम ने यहां नमूने भी लिए हैं। यह 19 प्राचीन कूप में से एक है। हमने 19 कूपों में से लगभग 15 कूप चिन्हित कर लिए हैं और यह सभी 19 कूप अत्यंत प्राचीन हैं। अब तक 24 तीर्थ भी चिन्हित किए जा चुके हैं।”
स्थानीय लोगों का कहना है कि मृत्यु कूप की खुदाई और जीर्णोद्धार से संभल में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। यह कुआं शाही जामा मस्जिद के पास है, जहां पिछले महीने सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा में चार लोगों की मृत्यु हुई थी।