पूर्णिया की रोशनी ने अपने परिवार का नाम रोशन किया है, जो गरीबी के बावजूद अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत करती रही। रोशनी के पिता ई-रिक्शा ड्राइवर और पेंटर हैं, लेकिन उन्होंने अपनी बेटी की शिक्षा के लिए कभी समझौता नहीं किया।
रोशनी ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की और बिहार दरोगा परीक्षा पास की। वह कहती है, “अगर आप मेहनती हैं तो आपको कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता।”
रोशनी की सफलता ने न केवल अपने परिवार को गर्व से भर दिया है, बल्कि यह भी साबित किया है कि गरीबी सफलता को रोक नहीं सकती। उनके गुरु, ऐ के झा, कहते हैं कि रोशनी की सफलता उन गरीब छात्राओं के लिए प्रेरणा है जिनके सफलता के बीच गरीबी बाधक बनती है।
रोशनी अब अपने पद पर नियुक्त होकर प्रदेश की सेवा करने के लिए तैयार है। वह कहती है, “मैं महिलाओं के उत्थान और गरीबों की भलाई के लिए काम करूंगी।”
रोशनी की कहानी हमें यह याद दिलाती है कि सफलता के लिए मेहनत और हिम्मत की आवश्यकता होती है, न कि धन या साधनों की।