Anantnag Encounter: तकरीबन दो दिन से चल रही इस भिडंत में राष्ट्रीय राइफल के जवान, सेना के पैरा कमांडो और जम्मू कश्मीर के पुलिस कर्मी विशेष रूप से चौकन्ने है जो धीरे-धीरे आगे बढ़ कर घने जंगल का घेरा कसते जा रहा हैं। इस मिशन में ड्रोन के साथ-साथ खोजी कुत्तो की भी मदद ली गई है। जो आतंकियों को खोजने में अहम् मदद करेगा।
पार्थिव शरीर विशेष विमान से चंडीगढ़ रवाना
वहीं, आतंकियों की फायरिंग रेंज में होने के कारण मुठभेड़ स्थल से घायलों को निकालने में काफी समय लगा जिस के कारण बलिदानी कर्नल और मेजर का पार्थिव शरीर भी गुरुवार सुबह को ही रवाना हुआ, हालांकि पहले बताया जा रहा था की उन्हें घायल अवस्था में निकाल उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाया गया हैं, पर बाद में वह अपने वतन की खातिर शहीद हो गए। रात को शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद दोनों के पार्थिव शरीर विशेष विमान से चंडीगढ़ के लिए रवाना कर दिए गए।
ताबड़तोड़ फायरिंग
सेना और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी गडोल को घेरे हुए हैं और आतंकियों की लगातार निगरानी कर रहे हैं। चिनार कोर के कमांडर और विक्टर फोर्स के कमांडर भी मुठभेड़ स्थल के पास और जरूरी दिशा निर्देश दिए। इसी बीच, आतंकियों ने घेराबंदी तोड़कर भागने के प्रयास में लगातार फायरिंग की, लेकिन भागने में नाकाम रहे। सूत्रों ने अनुसार दोपहर बाद एक सैन्यकर्मी कुलविंदर सिंह मुठभेड़ में जख्मी हुआ है। उसे इलाज़ के लिए अस्पताल में भी भर्ती करा दिया है। आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच लगातार गोलीबारी हो रही है।
पहाड़ी पर घने जंगलो के बीच छिपे बैठे हैं आतंकी
सूत्रों ने अनुसार खबर मिली है की आतंकी जिस पहाड़ी पर छिपे बैठे हैं, वहा सीधी चढ़ाई के साथ-साथ घना जंगल भी है जिस के पास से एक नाला गुज़र रहा है और साथ ही वह गांव के बाहरी छोर पर है। पहाड़ी की ढलान पर घने पेड़ों के बीच आतंकियों ने अपना बशेरा लगाया हुआ है। यह अभियान पिछले अभियानों से काफी मुश्किल है, क्योंकि नीचे से ऊपर जाते हुए भारतीय जवान सीधे आतंकियों के निशाने पर आते है।इसके अलावा घना जंगलर होने के कारण वहा हेलीकाप्टर भी नहीं उतारा जा सकता है। इसलिए मुठभेड़ में शहीद हुए जवानों के शरीर को मुठभेड़स्थल से निकालने में समय लगा। हेलीकाप्टर की सहायता से सेना के एक कमांडो दस्ते को पहाड़ी के ऊपरी छोर पर उतारा गया है, जबकि एक दस्ता नीचे की ओर से गया है। यह पहाड़ी जंगल दक्षिण कश्मीर को जम्मू संभाग के साथ जोड़ने वाले सिंथन टाप से भी मिलती है। सेना का एक दस्ता उस तरफ से भी घेरा डालते हुए आगे की ओर बढ़ रहा है, ताकि आतंकियों को वापस भागने का मौका न मिल सके।