बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने रविवार को घोषणा की कि उनका प्रशासन भारत से अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को स्वदेश भेजने की मांग करेगा। शेख हसीना अगस्त में बड़े पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद सत्ता से बेदखल होकर भारत चली गई थीं।
यूनुस ने अपने कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, “हम भारत से कहेंगे कि वह सत्ता से अपदस्थ तानाशाह शेख हसीना को वापस भेज दे।”
हसीना के भारत जाने की पृष्ठभूमि
शेख हसीना ने छात्रों और श्रमिकों के बड़े विरोध प्रदर्शनों के बाद इस्तीफा दिया था। यह विरोध सरकारी नौकरियों में विवादास्पद कोटा प्रणाली को लेकर शुरू हुआ था। पांच अगस्त को इस्तीफा देने के बाद हसीना दिल्ली के पास हिंडन एयरबेस पर पहुंची थीं। इसके बाद से उन्हें किसी अज्ञात स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया और सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया है।
यूनुस ने कहा कि उनकी सरकार के सत्ता संभालने से पहले बांग्लादेश पूरी तरह असुरक्षित था। उन्होंने दावा किया कि हसीना सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में छात्रों और श्रमिकों सहित करीब 1,500 लोग मारे गए और लगभग 19,931 घायल हुए।
धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का दावा
यूनुस ने अपने संबोधन में कहा कि उनकी सरकार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। उन्होंने बताया कि उनके शासनकाल में दुर्गा पूजा के दौरान व्यापक सुरक्षा इंतजाम किए गए थे, जिससे हिंदू समुदाय ने 32,000 पूजा मंडपों में त्योहार को शांति से मनाया। “हमने सुनिश्चित किया है कि कोई भी नागरिक, विशेष रूप से हिंदू समुदाय, हिंसा का शिकार न बने।”
चुनाव सुधार और रोडमैप का वादा
यूनुस ने यह भी कहा कि उनकी सरकार जल्द ही निर्वाचन आयोग का गठन करेगी और चुनाव प्रणाली में सुधार के बाद चुनाव का रोडमैप तैयार करेगी। यह स्पष्ट है कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार हसीना को वापस लाने और देश में स्थिरता बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठा रही है। हालांकि, भारत और बांग्लादेश के बीच इस मुद्दे पर चर्चा कैसे आगे बढ़ेगी, यह देखने वाली बात होगी।