कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) ने स्वीकार किया है कि उन्होंने बिना ठोस सबूत के भारत सरकार के एजेंटों पर खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था। ट्रूडो ने कहा कि जब उन्होंने पिछले साल यह आरोप लगाए थे, तब उनके पास सिर्फ खुफिया जानकारी उपलब्ध थी।
यह बात ट्रूडो (Justin Trudeau) ने विदेशी हस्तक्षेप की जांच कर रहे स्वतंत्र आयोग के सामने कही, जो कनाडा की चुनावी प्रक्रियाओं और लोकतांत्रिक संस्थानों में विदेशी हस्तक्षेप की जांच कर रहा है। ट्रूडो ने कहा कि भारतीय राजनयिक कनाडा में मोदी सरकार की आलोचना करने वाले व्यक्तियों की जानकारी एकत्र कर रहे थे और इसे भारत सरकार के उच्च अधिकारियों और लॉरेंस बिश्नोई जैसे आपराधिक संगठनों तक पहुंचा रहे थे। उन्होंने कहा कि कनाडा की खुफिया एजेंसियों और संभवतः “फाइव आइज़” (जिसमें कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं) के सदस्य देशों की संयुक्त खुफिया एजेंसियों ने उन्हें भरोसेमंद जानकारी दी थी कि भारत सरकार के एजेंट कनाडा की धरती पर एक कनाडाई नागरिक की हत्या में शामिल थे। यह जानकारी बहुत गंभीर थी, जिसे उनकी सरकार ने तत्काल महत्व दिया।
ट्रूडो (Justin Trudeau) ने कहा कि इस मामले पर जब कनाडा ने भारत सरकार से अपनी चिंता जाहिर की, तो भारत ने अपनी प्रतिक्रिया में और अधिक आक्रामक रुख अपनाया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि भारत ने कनाडा की संप्रभुता का उल्लंघन किया है।
भारतीय राजनयिकों के निष्कासन पर ट्रूडो (Justin Trudeau) ने कहा कि मोदी सरकार के विरोधियों से जुड़ी जानकारी भारत सरकार तक पहुंचाई गई थी, और यह जानकारी बाद में लॉरेंस बिश्नोई गिरोह जैसे आपराधिक संगठनों तक पहुंची, जिसके कारण कनाडाई नागरिकों के खिलाफ हिंसा हुई। कनाडा भारतीय राजनयिकों से इस बारे में पूछताछ करना चाहता था, लेकिन उनकी राजनयिक प्रतिरक्षा के चलते ऐसा नहीं हो सका, इसलिए उन्हें देश छोड़ने के लिए कहा गया।
भारत में, कांग्रेस पार्टी ने सरकार से इस मामले पर अपना रुख स्पष्ट करने की मांग की है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि इस मामले में विपक्ष को विश्वास में लिया जाना चाहिए, क्योंकि यह भारत की वैश्विक छवि को प्रभावित कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा की रक्षा करना सभी की साझा जिम्मेदारी है, और इसे मिलकर बचाने की जरूरत है।