Saudi Foreign Minister Faisal Bin Farhan Visits India: सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान अल-सऊद भारत की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर 13 नवंबर 2024 को पहुंचे। उनकी इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारत-सऊदी अरब रणनीतिक साझेदारी परिषद (SPC) की राजनीतिक, सुरक्षा, सामाजिक और सांस्कृतिक समिति की दूसरी बैठक की सह-अध्यक्षता करना है। यह यात्रा दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूती देने के उद्देश्य से है।
भारत- सऊदी अरब के द्विपक्षीय संबंधों में लगातार वृद्धि हो रही है, खासकर व्यापार, ऊर्जा, सुरक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में। इस यात्रा के दौरान, प्रिंस फैसल बिन फरहान अल-सऊद भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ हैदराबाद हाउस में वार्ता करेंगे। इस वार्ता के दौरान दोनों नेता द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे, जिनमें व्यापार और निवेश, सुरक्षा सहयोग, और सांस्कृतिक विनिमय शामिल होंगे।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ट्वीट कर सऊदी अरब के विदेश मंत्री का भारत आगमन स्वागत किया। उन्होंने कहा, “हमारे दोस्त सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान अल-सऊद का भारत में हार्दिक स्वागत है। उनकी यात्रा भारत-सऊदी अरब संबंधों को और भी गति प्रदान करेगी।” इस ट्वीट से यह स्पष्ट होता है कि भारत और सऊदी अरब के संबंधों को और मजबूत करने के लिए यह यात्रा एक महत्वपूर्ण कदम है।
सऊदी विदेश मंत्री का यह दौरा दोनों देशों के बीच एक स्थिर और व्यापक रणनीतिक साझेदारी के निर्माण की दिशा में अहम मील का पत्थर साबित हो सकता है। भारत और सऊदी अरब के रिश्तों में ऊर्जा, सुरक्षा, व्यापार, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ने की संभावना है।
इसके अलावा, प्रिंस फैसल की यात्रा का एक और प्रमुख पहलू है दोनों देशों के बीच आतंकवाद, साइबर सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता पर सहयोग बढ़ाना। दोनों देश कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक-दूसरे के सहयोगी रहे हैं, और यह यात्रा दोनों देशों के आपसी रिश्तों को और गहरा करेगी।
भारत में सऊदी अरब के विदेश मंत्री का यह दौरा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति के तहत सऊदी अरब के साथ भारत के रिश्तों को और बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस यात्रा से उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में दोनों देशों के बीच सुरक्षा, व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों में और सुधार होगा, जिससे दक्षिण एशिया और खाड़ी क्षेत्र की स्थिरता को भी बढ़ावा मिलेगा।