दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून ने शनिवार को सियोल के एक न्यायालय में अपनी रिहाई के लिए दलील पेश की, जबकि अदालत यह विचार कर रही थी कि उनकी औपचारिक गिरफ्तारी के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसी के अनुरोध को स्वीकार किया जाए या नहीं। यून पर 3 दिसंबर को मार्शल लॉ की घोषणा से जुड़े संभावित विद्रोह के आरोप हैं, जिसके कारण 1980 के दशक के अंत में लोकतंत्रीकरण के बाद देश में सबसे गंभीर राजनीतिक संकट उत्पन्न हुआ। इस मामले में उच्च पदस्थ अधिकारियों के लिए भ्रष्टाचार जांच कार्यालय ने सियोल पश्चिमी जिला न्यायालय से यून की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी करने का अनुरोध किया था।
यून के वकीलों ने बताया कि पांच घंटे तक चली बंद कमरे की सुनवाई के दौरान राष्ट्रपति ने करीब 40 मिनट तक अपनी दलील पेश की। उनकी कानूनी टीम और भ्रष्टाचार रोधी एजेंसियों ने हिरासत में रखने के मुद्दे पर आपस में बहस की, लेकिन वकीलों ने इस दौरान की विशिष्ट टिप्पणियों को साझा नहीं किया। सुनवाई के बाद उम्मीद की जा रही है कि न्यायाधीश शनिवार देर रात या रविवार सुबह तक अपना फैसला सुनाएंगे। अगर यून को गिरफ्तार किया जाता है, तो उनकी हिरासत को 20 दिन तक बढ़ाया जा सकता है, इस दौरान मामले को सरकारी अभियोजकों के पास भेजा जाएगा।
राष्ट्रपति यून को सियोल के पास उइवांग स्थित हिरासत केंद्र से पुलिस और राष्ट्रपति सुरक्षा सेवा की निगरानी में अदालत लाया गया। उनके समर्थन में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और रैली आयोजित की, जिसमें यून की रिहाई के लिए नारेबाजी की। हालांकि, यून ने अदालत में जाने से पहले पत्रकारों से बातचीत नहीं की। उनके वकील ने बताया कि राष्ट्रपति ने न्यायाधीश के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्णय लिया और उन्होंने अपनी दलील में कहा कि मार्शल लॉ लागू करने का उनका आदेश वैध था, और विद्रोह के आरोपों को अदालत में साबित नहीं किया जा सकता।
यून के खिलाफ यह संकट तब शुरू हुआ जब उन्होंने विधायी गतिरोध तोड़ने के लिए सैन्य शासन लागू किया, जिसके तहत सैनिकों को राष्ट्रीय विधानसभा और चुनाव कार्यालयों में भेजा गया। हालांकि, इस शासन को कुछ घंटों बाद हटा लिया गया। विपक्षी सांसदों ने 14 दिसंबर को उनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पारित किया। अगर यून को गिरफ्तार किया जाता है, तो यह उनकी लंबी हिरासत की शुरुआत हो सकती है, और अगर उन पर विद्रोह और सत्ता के दुरुपयोग के आरोप लगाए जाते हैं, तो उन्हें मुकदमे से पहले छह महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है। विद्रोह के आरोपों पर दक्षिण कोरियाई कानून के तहत आजीवन कारावास या मौत की सजा हो सकती है।