स्वच्छता के दावों के बावजूद शहर में अस्पताल, डिस्पेंसरी, स्कूल, कॉलेज, धार्मिक स्थल और अनाथ आश्रमों के बाहर कचरे का ढेर देखने को मिल रहे हैं। लेकिन निगम के अधिकारी आंखें बंद करके बैठे हैं। ऐसे में जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। शिकायत करने के बावजूद निगम अधिकारी सफाई नहीं कराते।
निगम अधिकारी स्वच्छता का नारा तो दे रहे हैं। लेकिन यह नारा शहर में बेमानी साबित हो रहा है। सफाई के अभाव जगह-जगह कूड़े के ढेर देखे जा सकते है। ऐसा कोई चौक चौराहा नहीं है, जहां पर गंदगी के ढेर न लगे हों। गंदगी के कारण लोगों का वहां से निकलना दूर्भ रहो गया है। यहां तक कि लोग वहां से मुंह पर कपड़ा ढक कर निकलने को मजबूर हैं।
मुंह मारते आवारा पशु:
शहर में फैले इन कचरे के ढेरों पर जगह-जगह आवारा पशुओं को मुंह मारते देखा जा सकता है। कचरे के ढेर में पॉलिथीने सबसे ज्यादा होती है। लोग डस्टबिन में डालने की बजाय सड़कों पर कचरा फैंक देते हैं। कई जगहों पर कचरे के ढेर से पॉलीथिन उड़कर लोगों के घरों तक पहुंच रही है।
इन मुख्य स्थान पर कचरा:
ऐसा ही हाल एनएच-एक और नेहरू ग्राउंड की गलियों के बाहर जगह-जगह कचरे के ढेर देखे जा सकते हैं। इसी तरह से नीलम-बाटा रोड़ पर भी जगह-जगह कचरे के ढेर लगे हैं। एनआइटी रेलवे स्टेशन के पास भी कूड़े के ढेर लगे हुए देखे जा सकते हैं। यहां फल की रेहड़ी और अन्य खोमचे वालों का कब्जा है। लिहाजा वे बचे हुए सामान को वहीं डाल लेते हैं। जिसे न तो ईकोग्रीन के कर्मी उठा रहे है और न ही नगर निगम के कर्मचारी। इसी तरह से बाटा-मुजेसर रोड़ पर भी गंदगी के ढेर देखे गए।
वहीं सेक्टर-24 की मुख्य सड़क पर कई स्थानों पर जगह जगह कूड़े के ढेर लगे हैं। नगर निगम मुख्यालय के समीप मौजूद सिविल अस्पताल की दीवार के बाहर गलत तरीके से कूड़ा घर बनाया हुआ है। यहां कचरे के ढेर लगे रहते हैं। एनआईटी स्थित सरकारी स्कूल के गेट पर गंदगी का ढेर लगा रहता है। बल्लभगढ़ के मुख्य बजार से लेकर रेलवे स्टेशन तक सभी जगह कचरा देखा गया। प्याली से सारन रोड़ पर पुलिस चौकी से थोड़ा आगे। संजय कालोनी में 22 और 33 फीट रोड़, ओल्ड फरीदाबाद की सब्जी मंडी और अन्य कई स्थानों पर कचरे के ढेर लगे हैं। शहर में जगह-जगह फैली गंदगी में मच्छर पनप रहे हैं। जिससे इलाके में बीमारी फैलने का डर बना हुआ है।