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फ्लाइंग स्क्वॉड :कहीं एंटी करप्शन ब्यूरों से बचने का नया उपाय तो नहीं ?

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सरकार ने प्रदेश के विभिन्न नगर निगम में व्याप्ता भ्रष्टाचार, अवैध निर्माण, अतिक्रमण, विकास कार्यो में लापरवाही, अवैध विज्ञापन, सम्पति कर से संबंधित मामले और इनसे संबंधित शिकायतों की जांच पड़ताल की जिम्मेदारी के लिए फ्लाइंग स्क्वॉड का गठन किया है। इसकी जिम्मेदारी सरकार ने उन एचसीएस अधिकारियों को सौंपी है, जो नगर निगम में संयुक्त आयुक्त के पदों पर तैनात हैं। लेकिन उन्हें अपने नगर निगम की बजाए अन्य नगर निगमों की जांच और छापेमारी की जिम्मेदारी दी गई है। सरकार का यह प्रयोग कितना सफल होगा, यह तो समय ही बताएगा। लेकिन उदाहरण के तौर पर फरीदाबाद नगर निगम की बात करें तो मुख्यालय से मात्र 500 मीटर की दूरी पर ही हजारों की संख्या में अवैध निर्माण खड़े हैं। सरकारी जमीनों पर कब्जे तो आम बात है। वहीं क्षेत्र में विकास कार्यो में लापरवाही कहीं भी देखी जा सकती है। जब यहां तैनात अधिकारी अपने क्षेत्र पर ध्यान नहीं दे पा रहे तो वे अन्य जिलों में कैसे ध्यान देंगे?

प्रत्येक जोन में अवैध निर्माण

नगर निगम फरीदाबाद को तीन जोनों में बांटा हुआ है। नगर निगम में आयुक्त के अलावा प्रत्येक जोन में एक एक एचसीएस अधिकारी संयुक्त आयुक्त के पद पर तैनात है। लेकिन इसके बावजूद नगर निगम क्षेत्र का ऐसा कोई हिस्सा नहीं है, जहां अवैध निर्माण सिर उठाकर न खड़ा हो। निगम मुख्यालय के आस पास करीब दो किलोमीटर के परिधि में चारों तरफ जगह जगह सरे आम अवैध निर्माण हो रहे हैं। इनमें से कई अवैध निर्माणों में तो बिना अनुमति और नियमों को ताक पर रखकर बड़ी बड़ी बेसमेट तक बनाई जा रही है। ऐसा नहीं है कि निगम अधिकारियों को इस बारे में पता नहीं है। इनकी शिकायत अधिकारियों के पास नियमित रूप से पहुंचती रहती है। लेकिन नगर निगम के अधिकारी अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई करने के नाम परसिर्फ नोटिस भेजने की खानापूर्ति करने तक सीमित रहते हैं।

जांच से बचने का उपाय तो नहीं

विकास कार्यो की आड़ में होने वाले घोटालों और अन्य कई तरह की शिकायत नगर निगम में समाज सेवी और अन्य लोगों द्वारा समय समय पर की जाती है। इनमें से कई मामलों की जांच निगम आयुक्त द्वारा अपने ही अधिकारियों को जांच के लिए सौंप दी जाती है। ऐसे मामले अक्सर लंबित ही पड़े रहते हैं। निगम में हुए घोटालों और भ्रष्टाचार की ऐसी अनेक शिकायतें लंबे समय से अधिकारियों के पास लंबित पड़ी हुई हैं। वहीं घोटालों और भ्रष्टाचार के कई मामले सरकार द्वारा एंटी करप्शन ब्यूरों को स्थानांतरित कर दिये जाते हैं। निगम से संबंधित कई मामलों की जांच ब्यूरों द्वारा की जा रही है। जिसे देखते हुए लगता है कि एंटी करप्शन की जांच से बचने के लिए यह नया उपाय निकाला गया है। क्योंकि अब ऐसे मामलों की फ्लाइंग स्क्वॉड द्वारा जांच की जाएगी।

आला अधिकारी की कैसें करेंगे जांच

फरीदाबाद ही नहीं प्रदेश के अन्य कई नगर निगमों में होने वाले घोटाले समय समय पर उजागर होते रहते हैं। वहीं अवैध निर्माण और सरकारी जमीन पर अतिक्रमण की समस्या भी सभी स्थानों पर समान रूप से है। लेकिन विकास कार्यो के दौरान घटिया सामाग्री का इस्तेमाल और निर्माण के दौरान बरती गई लापरवाही के कई उदाहरण शहर में कहीं भी देखे जा सकते हैं। मजबूती का दावा कर बनाई जाने वाली आरएमसी सड़के निर्माण के कुछ समय बाद ही टूटने लगती हैं। लेकिन निगमायुक्त के पद पर तैनात आइएएस की तरफ से ठेकेदार पर कार्रवाई करते कभी नहीं देखा गया। ऐसे एचसीएस अपने से वरिष्ठ आइएसएस अधिकारी की जांच कैसे कर सकेंगे। वहीं एक आइएएस की मौजूदगी में एचसीएस अधिकारी किस तरह से मामले की निष्पक्ष जांच कैसे करेंगे, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।

कमेटी गठित होनी चाहिए

वरिष्ठ अधिवक्ता सतेंद्र दुग्गल का कहना है कि अन्य जिले के अधिकारी को जिम्मेदारी देने की बजाए सरकार को ऐसे मामलों की जांच के लिए डीसी की अध्यक्षता में स्थानीय और सेवानिवृत अधिकारी, ग्रीवेंस कमेटी सदस्य और एमीनेंट सिटीजन को शामिल कर कमेटी बनानी चाहिए। इस कमेटी की जांच रिपोर्ट जिला कष्ट निवारण समिति के अध्यक्ष को सौंपी जानी चाहिए।

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