राजस्थान विधानसभा की 200 सीटों पर 25 नवंबर को वोटिंग होनी है,काउंटिंग तीन दिसंबर को होगी। राजस्थान चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख भी निकल गई है और इसके साथ ही हर सीट पर तस्वीर भी साफ हो गई है।
कर्नाटक की तर्ज पर चुनाव से दो महीने पहले उम्मीदवारों के ऐलान का दावा करने वाली कांग्रेस का राजस्थान में कुछ आलम अलग ही रहा नामांकन के लिए अंतिम दिन से आखरी वक्त तक टिकटों का ऐलान हुआ।
नामांकन छ: नवंबर को आखिरी तारीख में था एक दिन पहले कांग्रेस की अंतिम लिस्ट जारी हुई जिसमें सबसे ज्यादा उत्सुकता और इंतजार तीन नामों को लेकर था- शांति धारीवाल,डॉक्टर महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौर।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी माने जाने वाले इन तीनों ही नेताओं के नाम कांग्रेस आलाकमान को मंजूर नहीं थे लेकिन आखिरी लिस्ट आई जिसमें डॉक्टर महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौर का नाम हटा दिया गया तो वहीं शांति धारीवाल को कोटा उत्तर विधानसभा सीट से सियासी रण में उतार दिया गया।
राजस्थान के सियासी गलियारों में चर्चा जोरों पर है कि ऐसा कैसे हुआ की शांति धारीवाल को टिकट दे दिया गया और महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौर का टिकट काट दिया गया। सवाल उठाए जा रहे हैं क्योंकि तीनों ही 25 सितंबर 2022 की घटनाक्रम के बाद से ही कांग्रेस आलाकमान की नजर में खलनायक बनकर उभरे थे हालांकि एक्शन भले ही ना हुआ हो लेकिन पार्टी नेतृत्व इन नेताओं को कारण बताओं नोटिस भी जारी कर चुका था।
कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव से पहले इस पद के लिए अशोक गहलोत का नाम चल रहा था तो वहीं सत्ता के शीर्ष पर बदलाव की अटकलें थी कांग्रेस की तत्कालीन कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अजय माकन और मल्लिकाअर्जुन खड़गे को ऑब्जर्वर बनाकर विधायक दल की बैठक के लिए जयपुर भेजा गया, 25 सितंबर को दोनों नेताओं ने मुख्यमंत्री गहलोत के आवास पर विधायक दल की बैठक बुलाई लेकिन गहलोत समर्थक विधायकों ने इस बैठक से किनारा कर लिया फिर शांति धारीवाल की आवास पर विधायकों की बैठक हुई विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा लेकर विधानसभा स्पीकर के आवास तक जा पहुंचे पूरी कवायद का कर्ताधर्ता शांति धारीवाल,डॉक्टर महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौर को बताया गया। धारीवाल ने तो यहां तक कह दिया था कि कौन आलाकमान जो भी है गहलोत ही है इसे भी नेतृत्व के लिए सीधी चुनौती के तौर पर देखा गया।
कांग्रेस नेतृत्व हालांकि तब चुप रहा लेकिन जब टिकट बंटवारे की बारी आई तो फेहरिस्त में इन तीनों नेताओं के नाम देखकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी भड़क गए। धारीवाल का नाम देख कर तो सोनिया गांधी ने नाराजगी भी जताई लेकिन फिर भी आखिर में टिकट पाने में धारीवाल कामयाब हो गए तो वहीं महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौर का टिकट काट दिया गया अब सवाल उठ रहे हैं कि ऐसा क्या हुआ कि आलाकमान को सीधी चुनौती देने वाले धारीवाल ही बच गए और बाकी दो नेता नप गए।
खबरें ऐसी भी थी कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने धर्मेंद्र राठौर का नाम पहले रखा था और उनके लिए दूसरे राज्य के एक बड़े नेता भी जोरआजमाइश में लगे थे तो गहलोत की तरफ से भी उनके नाम को लेकर जिद छोड़ दी गई। तो वहीं महेश जोशी को टिकट नहीं देने की मांग भी मान ली गई लेकिन फिर आलाकमान शायद यह सोच कर की तीनों में से किसी एक नाम पर तो सहमति बना दी जाए इसके अलावा खबरें ऐसी भी थी कि जब गहलोत कैबिनेट में सचिन पायलट डिप्टी सीएम थे तभी धारीवाल ही नंबर दो माने जाते थे धारीवाल का टिकट काटने का सीधा मतलब होता गहलोत का दौर खत्म होने का संदेश।
ऐसे में पावर बैलेंस की कोशिश को भी धारीवाल की टिकट दिए जाने के पीछे बड़ी वजह माना जा रहा है टिकट के लिए हर फेहरिस्त के लंबे इंतजार के बाद किसी भी तरह से बयान बाजी से भी धारीवाल परहेज करते रहे और यह बात भी शायद उनके पक्ष में चली गई।
तो वहीं कोटा उत्तर सीट से विधायक रह चुके बीजेपी के प्रहलाद गुंजल और ओम बिरला की दूरियां कम होना भी एक फैक्टर माना जा रहा है वसुंधरा राजे के समर्थक प्रहलाद गुंजल और कोटा के सांसद लोकसभा स्पीकर ओम बिरला की तल्ख़ियां जग जाहिर रही है। कोटा उत्तर सीट से बीजेपी ने भी टिकट का ऐलान नहीं किया था इसके पीछे ओम बिरला की सहमति नहीं होने को वजह बताया जा रहा था प्रहलाद गुंजल ने स्पीकर बिरला से मुलाकात के बाद नॉमिनेशन फाइल कर दिया उसी दिन कांग्रेस ने भी धारीवाल के नाम का ऐलान कर दिया अब माना यह जा रहा है कि प्रहलाद गुंजल और ओम बिरला की अदावत के बीच कांग्रेस को कोटा उत्तर सीट से अपनी राह आसान हो जाएगी इसलिए पार्टी किसी नए चेहरे पर दांव नहीं लगाना चाहती थी आखिरी वक्त में कांग्रेस आलाकमान ने तस्वीर बदली और नए चेहरे पर दांव लगाने से बचते हुए जीत की संभावनाएं तलाशते हुए धारीवाल पर ही दांव खेल दिया।
यह तो मात्र कयास लगाए जा रहे हैं अब आखिर धारीवाल को टिकट और जोशी और राठौर का टिकट कटने के पीछे असली वजह क्या है यह तो कांग्रेस आलाकमान फिर कांग्रेस पार्टी के नेता ही जाने।