वनडे विश्व कप 2023 के फाइनल में भारत को हार का सामना करना पड़ा। लगातार 10 मैच जीतकर फाइनल में पहुंचने वाली टीम इंडिया का विजय रथ आॅस्ट्रेलिया ने तोड़ा और फाइनल अपने नाम किया। वर्ल्ड कप के फाइनल मुकाबले में भारतीय टीम की हार के बाद क्रिकेट प्रशंसक काफी निराश हैं। वे मानते हैं कि टीम का अति आत्मविश्वास हार का कारण बना। इस फाइनल मैच को देखने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत बड़ी संख्या में फिल्मी हस्तियों जैसे अति वीवीआईपी स्टेडियम में मौजूद थे। ये भी हो सकता है कि इन वीवीआईपी की मौजूदगी के कारण भारतीय टीम पर अच्छे प्रदर्शन का प्रेशर रहा हो। इसी के कारण भारतीय टीम चूक करने लगी। वह अच्छा प्रदर्शन न कर सकी हो।
भारत की हार के बाद भारतवासियों समेत सभी खिलाड़ी निराश थे। कप्तान रोहित और मोहम्मद सिराज तो अपने आंसू भी नहीं रोक सके। मैच के बाद जब रोहित से टीम की हार पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, नतीजा हमारे अनुकूल नहीं रहा। हम आज उतना अच्छा नहीं खेले। हमने सब कुछ करने की कोशिश की, लेकिन यह हमारी किस्मत में नहीं था। हम 20-30 रन और बनाते तो अच्छा होता।
केएल और कोहली अच्छी साझेदारी कर रहे थे और हम 270-280 के स्कोर की ओर देख रहे थे, लेकिन हम लगातार विकेट खोते रहे। जब आपके पास बोर्ड पर 240 रन होते हैं, तो आप विकेट लेना चाहते हैं, लेकिन हमें खेल से बाहर करने का श्रेय हेड और लाबुशेन को जाता है, लेकिन मुझे लगता है कि रात में बल्लेबाजी के लिए विकेट थोड़ा बेहतर हो गया था। मैं इसे कोई बहाना नहीं बनाना चाहता। हमने पर्याप्त रन नहीं बनाए। शानदार साझेदारी करने के लिए उन दोनों आॅस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को श्रेय जाता है।
प्रशंसक कहते हैं कि भारतीय टीम अति आत्मविश्वास के कारण हारी है। उन्होंने कहा, ‘खिलाड़ियों की ऊर्जा कम लग रही थी। गेंदबाजी और फील्डिंग में कमी थी। जिस दिन जरूरत थी उस दिन टीम चूक गई। उनका मानना था भारत ने आज अपना केवल 40 प्रतिशत प्रदर्शन ही ठीक दिया। रोहित शर्मा का विकेट गिरना मैच का टर्निंग प्वाइंट था। इस सवाल के जवाब में कि भारतीय टीम अच्छे फॉर्म में थी, फिर भी क्या हुआ? प्रशंसक कहते हैं, ‘टीम में आज अनुशासन की कमी थी।’ वहीं एक प्रशंसक कहते हैं,
आज आॅस्ट्रेलिया का दिन था। भारतीय टीम की इतनी आलोचना करना ठीक नहीं है।
भारत की हार के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर टीम का हौसला बढ़ाया। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि वर्ल्ड कप के दौरान टीम इंडिया का टैलेंट और दृढ़ संकल्प उल्लेखनीय था। गेंदबाजी के बूते फाइनल में पहुंची टीम इंडिया कोई करिश्मा क्यों नहीं दिखा पाई? इसके पीछे कहीं स्टेडियम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत वीवीआईपी की मौजूदगी तो इसका कारण नहीं।
कहीं ऐसा तो नहीं कि वीवीआईपी की मौजूदगी के कारण टीम ने मनोवैज्ञानिक प्रेशर महसूस किया हो। ज्यादा सचेत रहकर खेलने की कोशिश की हो और इसी कोशिश में वह बिखरती चली गई हो। मेडिकल सांइस में एक टर्म है वीआईपी सिंड्रोम। इसमें कहा जाता है कि किसी वीआईपी के अस्पताल आते ही अस्पताल के चिकित्सक और स्टाफ मानसिक दबाव में आ जाते हैं। इसी कारण उनसे गलतियां होती चली जाती हैं।
माना जाता है अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी और भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर हमले के समय भी चिकित्सक मानसिक दबाव में आ गए। माना जाता है कि इसी कारण उनसे गलतियां हुईं और वे दोनों वीवीआईपी को नहीं बचा पाए। यह भी कहा जाता है कि बड़ी घटना के समय वीवीआईपी को मौके पर नहीं जाना चाहिए। बचाव कार्य में लगी टीम वीआईपी के दौरे में लग जाती है। बचाव में व्यय होने वाली उसकी एनर्जी वीवीआईपी की सुरक्षा आदि पर व्यय हो जाती है। अपने काम से बचाव टीम की एकाग्रता कम होती है। एक बात और। यदि भारत हारा तो यह मानना चाहिए कि प्रभु की ऐसी ही इच्छा थी। (यह लेखक के निजी विचार हैं।)
लेखक: अशोक मधुप