देश रोज़ाना: संत तुकाराम का जन्म महाराष्ट्र के पुणे जिले में 1598 में हुआ था। संत तुकाराम ने जीवन भर लोगों को सरल जीवन जीने और तमाम तरह तरह के पाखंड से दूर रहने का उपदेश दिया। सोलहवीं सदी के वे क्रांतिकारी समाज सुधारक और संत थे। लोग उन्हें तुकोबा भी बोलते थे। कहते हैं कि जब यह 18 वर्ष के थे, तो इनके माता-पिता की मौत हो गई। उन्हीं दिनों महाराष्ट्र में अकाल पड़ा और इनकी पत्नी और पुत्र की भूख से तड़प-तड़प कर मौत हो गई। कुछ लोग इस बात को सही नहीं मानते हैं। उनके अनुसार, संत तुकाराम जमींदार परिवार से थे। संत तुकाराम की दूसरी पत्नी बहुत कर्कशा थीं। खैर, जो भी सही हो, लेकिन यह सही है कि वे एक पहुंचे हुए संत थे। एक बार की बात है।
एक व्यक्ति उनके पास आया और बोला, तुकोबा, मैं अपनी एक आदत से बहुत परेशान हूं। यदि इस आदत से छुटकारा मिल जाए, तो मेरा जीवन सफल हो जाए। संत ने पूछा कि कौन सी आदत। उसने कहा कि मुझे गुस्सा बहुत आता है जिसकी वजह से लोग मुझसे नाराज रहते हैं। भाई,बंधु और समाज के लोग मुझसे मेरी इसी आदत की वजह से मुझे पसंद नहीं करते हैं। संत तुकाराम ने कहा कि तुम्हारा तो सात दिन का ही जीवन बचा है। लोगों से अब अच्छा व्यवहार करो। भला होगा। वह व्यक्ति यह सोचकर दुखी हो गया कि अब सात दिन बचे हैं। वह घर के लिए निकला, तो रास्ते में जो भी मिला, उससे बड़े प्रेम से बात की। जिनसे वह झगड़ा था, उनसे माफी मांगी।
इस तरह छह दिन बीत गए। सातवें दिन उसने सोचा कि चल कर संत के दर्शन करआऊं। आज तो आखिरी दिन है। मिलने पर संत ने कहा कि तुम हमेशा जीवन में यही मानकर चलो कि आज आखिरी दिन है। सबसे प्रेम से बात करो। तुम्हारा कल्याण होगा। तुम्हारी मौत अभी नहीं आई है। वह आदमी इसके बाद बदल गया और सबसे प्रेम करने लगा।
– अशोक मिश्र