देश रोज़ाना: गुरु गोविंद सिंह का दसवां परिवार हिन्दू धर्म की रक्षा करते- करते शहीद हो गया। उनकी शहादत को याद करते हुए 21 दिसंबर से 27 दिसंबर तक बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन सभी को एक प्रेरणा देता है। साथ ही धर्म को लेकर जागरूक करता है। कि धर्म चाहे कोई भी हो उसकी रक्षा करना अधिक महत्वपूर्ण है।
हिदू समाज को गर्व है कि जिन्होंने केश और धर्म के लिए कुर्बानी दे दी, राष्ट्रीय हिदू शक्ति संगठन उन वीर सपूतों की याद में 14 नवंबर को बाल दिवस न मनाकर 27 दिसंबर को बाल दिवस के रूप में मनाएगा। उन्होंने प्रधानमंत्री से 27 दिसंबर को बाल दिवस के रूप में मनाने की मांग की। गुरु गोविंद सिंह की कुर्बानियों को भुलाया नहीं जा सकता।
धर्म और आम जन की रक्षा के लिए दी गई शहादत का कोई दूसरा उदाहरण पढ़ने को नहीं मिलता। संगठन गुरु गोविद सिंह, उनके परिवार और उनके साथ शहीद हुए 40 सिखों को नमन करता है।
देश और धर्म के लिए जान कुर्बान करना एक गर्व की बात होती है। और यह ही जूनून आज के युवा में होना चाहिए। जो देश के लिए जान को कुर्बान करने में भी न सोचे। और देश के लिए जान कुर्बान करके देश का नाम रोशन करे।