सत्ता में कोई भी सरकार रही हो, सबने अपने-अपने हिसाब से अधिकारियों का उपयोग जनता के हित में किया है। पंजाब से अलग होने के बाद नए बने राज्य हरियाणा के तीन बार मुख्यमंत्री रहे बंसीलाल ने मंडलायुक्तों पर ही विकास कार्यों की समीक्षा और देखभाल की जिम्मेदारी सौंपी थी। उनसे पहले या उनके बाद होने वाले मुख्यमंत्रियों ने जिला उपायुक्तों, पुलि अधीक्षकों को यह जिम्मेदारी सौंपी।
बंसीलाल के अलावा प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुए मुख्यमंत्रियों ने मंडलायुक्तों की शक्तियों को कम ही रखा। लेकिन वर्तमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बंसीलाल की परंपरा को एक बार फिर जीवित कर दिया है। उन्होंने जिला उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों की शक्तियों को कम करते हुए मंडलायुक्तों को कार्यकारी शक्तियां प्रदान की हैं। मुख्यमंत्री ने नए सिरे से मंडलायुक्तों के कार्यों और जिम्मेदारियों का बंटवारा किया है। अब मंडलायुक्तों को यह अधिकार दिया गया है कि वे हर माह जिला उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों के साथ बैठक करके सरकारी विभाग के जमीन से जुड़े विवादों को सुलझाने में जिला उपायुक्तों को दिशा निर्देश देंगे।
पिछले छह महीने से लंबित सभी मामलों की उपायुक्तों और एसडीएम के साथ चर्चा करेंगे और उसको हर करने की दिशा में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट सरकार को भेजेंगे। उम्मीद की जा रही है कि इससे अफसरों की जवाबदेही तय होगी और वे अधिक जिम्मेदारी के साथ काम करेंगे। इससे लोगों की समस्याओं को जल्द से जल्द हल करने में आसानी होगी। समीक्षा करने और रिपोर्ट तैयार करने की शक्ति मंडलायुक्तों के हाथ में होने से धरातलीय निरीक्षण करना होगा। नई व्यवस्था के तहत कानून व्यवस्था भी चुस्त-दुरुस्त होगी। सीनियर सिटीजंस के लिए चल रही योजनाओं पर अब ज्यादा चुस्ती-फुर्ती से नजर रखी जा सकेगी।
मंडलायुक्तों को यह भी दायित्व दिया गया है कि वे सीनियर सिटीजंस से जुड़ी परियोजनाओं को धरातल पर लागू करने के साथ-साथ नागरिक उड्डयन सेवाओ से जुड़े मामलों को भी निस्तारित करेंगे। सरकार ने मंडलायुक्तों को अपने-अपने मंडल की कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने की शक्ति प्रदान की है। इससे पहले जब कोई मंडलायुक्त किसी एसपी, डीएसपी को किसी काम से अपने दफ्तर में बुलाता था, तो वे तमाम काम का बहाना बनाकर आने में आनाकानी करते थे। कई बार ऐसी स्थिति में जब राज्य सरकार इन मंडलायुक्तों के किसी मामले में बातचीत करती थी, तो वे साफ कह देते थे कि उनको इन सब मामलों में शामिल ही नहीं किया जाता है। उन्हें आवश्यक जानकारी तक नहीं दी जाती है। इन सब स्थितियों से निपटने के लिए ही राज्य सरकार ने मंडलायुक्तों की शक्ति में इजाफा किया है।
-संजय मग्गू