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अपने कर इंसानियत को शर्मशार, समाज सेवी दे रहे सहारा

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मानसिक रूपसे दिव्यांग लोगोंको परिजन अक्सर घर से  निकाल देते हैं। वहीं कुछ परिजन घर में रखते भी है तो उनके साथ इंसानियत को शर्म शार करने वाला व्यवहार करते हैं। लेकिन दूसरी तरफ समाज सेवी लावारिस मिलने वाले मानसिक रोगियों की सेवा करते नजर आते हैं। ऐस कई मामलों में समाज सेवियों द्वारा अक्सर दिव्यांग और मानसिक रोगियों की सेवा करते देखा गया है। जिससे मानसिक दिव्यांगों के व्यवहार में परिवर्तन भी आने लगा है।

मानसिक रोगी से अमानवीय व्यवहार :

सेक्टर 62 निवासी एक व्यक्ति को उपचार के बाद परिजन ईको गाड़ी में डालते नजर आए। उसके मुंह, हाथ और पैरों को परिजनों ने बुरी तरह से बांध रखा था। तीन युवक उसे इंसानियत को शर्मशार करने वाले तरीके से उठाकर गाडी में डाल रहे थे। पूछने पर उन्होंने बताया कि यह मानसिक रोगी है और दूसरों पर हाथ पैर चलाता है। जबकि व्यक्ति एक दम शांत था।

परिजनों से मिलाया :

करीब एक सप्ताह से ताऊ देवी लाल वृद्वाश्रम में रह रहे बुजुर्ग गंगा राम को आश्रम के संचालक किशन लाल बजाज ने परिजनों से मिलवाया। बजाज ने बताया कि 78 वर्षीय बुजुर्ग की मानसिक हालत ठीक नहीं थी। आश्रम में लाकर उन्होंने परिजनों की तलाश की। सोमवार को उनकी मेहनत सफल हुई। पत्नी से मिलते ही गंगा राम की आंखों से खुशी के आंसू आ गए। लावारिस हालत में मिले बुजुर्ग को एक हफ्ते पहले पुलिस चौकी सेक्टर-8 के कर्मचारी वृद्वाश्रम में छोड़ गए थे। बुजुर्ग को लेने उसकी बेटी सुनीता, दामाद और पत्नी आश्रम आए थे।

बेटी सुनीता ने बताया कि वह संजय कालोनी सेक्टर-23 में रहते हैं। उसके पिता लगभग एक सप्ताह पहले बाजार गए थे और रास्ता भटक गए। सुनीता ने पुलिस कर्मचारियों और किशन लाल बजाज का धन्यवाद किया जिनकी बदौलत उनके पिता सही सलामत मिले।

बिछड़ी मांसे मिलाया :

समाज सेवी सतीश चौपड़ा ने सुभाष कालोनी निवासी मंद बुद्धि टिंकू को अस्पताल में भर्ती करवाया था।  उसके पैर में इंफैक्शन था। सतीश चौपड़ा को मंदबुद्वि टिंकू ने कुछ याद आने पर बताया था कि उसके पिता नानक बल्लभगढ़ में छोले कुल्चे बेचते हैं। जिस पर बल्लभगढ़ के लोगों ने पहचान करके बताया कि इसका परिवार छह माह पहले गांव चला गया था। जिस पर पड़ोसियों ने टिंकू की मां को अलीगढ़ में सूचना दी तो वह यहां पहुंची और बताया कि टिंकू होली पर लापता हो गया था। जिस पर चौपड़ा ने टिंकू को फल, कपड़े व एक हजार रुपये देकर उसके इलाज को आगे करवाना शुरू कर दिया है।

कविता

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