असफलता इंसान हो या जानवर, सबका मनोबल तोड़ देती है। एक बार यदि किसी का मनोबल टूट जाए, तो वह कभी उबर नहीं पाता है। लेकिन यदि किसी चींटी को देखा जाए, तो यह बात समझ में आती है कि अगर प्राणी में जुनून हो, जज्बा हो, तो लाख विफलता मिले, प्राणी अंतत: सफल हो ही जाता है। कई बार विफल होने के बावजूद चींटी अपना प्रयास करना नहीं छोड़ती है। अगर इंसान भी चींटी से सीख ले, तो उसे भी किसी भी काम में विफलता नहीं मिलेगी। लेकिन इंसान बार बार प्रयास करने से कतराता है। इस संबंध में एक लोकप्रिय कथा है।
एक बार की बात है, एक व्यक्ति कहीं जा रहा था। उसने देखा कि मार्ग में एक हाथी बंधा हुआ खड़ा है। हाथी को बांधने वाली रस्सी बहुत पतली थी। उसे आश्चर्य हुआ कि इतना बलवान हाथी एक मामूली रस्सी से बंधा हुआ है और उसे तोड़ने का प्रयास भी नहीं कर रहा है। उसने महावत से पूछा कि ऐसा क्यों हो रहा है कि हाथी इतनी पतली रस्सी को तोड़ नहीं रहा है। इस बात को सुनकर महावत ने कहा कि बात यह है कि यह हाथी जब छोटा था, तब मैं इसको इसी रस्सी से बांधा करता था। तब यह हाथी उस रस्सी को तोड़ नहीं पाता था। काफी दिनों तक जब प्रयास करने के बावजूद हाथी उस रस्सी को तोड़ नहीं पाया, तो इसे विश्वास हो गया कि वह इस रस्सी को तोड़ नहीं सकता है।
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उसका मनोबल टूट गया। यह विश्वास बहुत गहरे तक इस हाथी के मन में बैठ गया कि वह रस्सी नहीं तोड़ सकता है। मैं हमेशा इसी रस्सी से बांध देता हूं और यह चुपचाप खड़ा रहता है। ठीक यही बात इंसान पर भी लागू होती है। यदि इंसान एक दो बार किसी काम में विफल हो जाए, तो वह प्रयास करना ही छोड़ देता है। यह सुनकर वह आदमी अपने रास्ते पर चला गया।
-अशोक मिश्र
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