बरसाती पानी को यदि संचित कर लिया जाए, तो यह काफी उपयोगी साबित हो सकता है। इसका उपयोग सिंचाई, पशुओं और इंसानों के पेयजल के रूप में हो सकता है। तालाबों और अन्य जगहों पर संचित किए जाने से जलस्तर भी सुधर सकता है। पड़ोसी राज्य पंजाब और राजस्थान सहित हरियाणा में भी बरसाती पानी का ज्यादातर सदुपयोग नहीं हो पाता है। बरसाती पानी के सदुपयोग के लिए अब राजस्थान और हरियाणा ने हाथ मिलाकर एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने पर समझौता किया है। इस समझौते के अनुसार दोनों राज्यों के अधिकारी इस मामले में बैठक करके एक परियोजना तैयार करेंगे और बरसाती पानी को संचित करने से लेकर उसका विभिन्न कार्यों में उपयोग कैसे किया जाए, इसकी प्लानिंग करेंगे।
केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और मुख्यमंत्री मनोहर लाल की मौजूदगी में दोनों राज्यों के अधिकारियों ने विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। जीवन के लिए जल कितना उपयोगी है, यह किसी को भी समझाने की जरूरत नहीं है। इसके बावजूद सबसे ज्यादा अपव्यय पानी का ही होता है। एक तो बरसाती पानी को हम संचित नहीं कर पाते हैं, दूसरे संचित पानी का बेजा इस्तेमाल करते हैं। यह जानते हुए भी कि पृथ्वी पर मौजूद पेयजल की मात्रा सीमित है।
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हरियाणा के कई जिलों में भूगर्भ जल का स्तर काफी नीचे चला गया है। कई दशकों से हो रहे पानी के अपव्यय का नतीजा है कि कुछ इलाकों में लोग पीने के पानी के लिए भी तरस रहे हैं। पिछले साल 2023 में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया था कि प्रदेश के कुल 7287 गांवों में से 3041 पानी की कमी से जूझ रहे हैं यानी करीब 42 फीसदी गांवों के लोगों ने पानी के संकट का सामना करना शुरू कर दिया है।
प्रदेश के 1948 गांव तो ऐसे हैं जो गंभीर जल संकट को झेल रहे हैं। इसकी वजह से सबसे बड़ी चुनौती खेती में आने वाली है क्योंकि भारत में करीब 90 प्रतिशत भूगर्भ जल का इस्तेमाल कृषि क्षेत्र में होता है, इसलिए इस समस्या का समाधान भी किसानों के जरिए ही करने का प्रयास किया जा रहा है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रदेश में गिरते जा रहे भूगर्भ जल स्तर को रोकने के लिए राजस्थान के साथ विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने का आदेश अधिकारियों को दिया गया है। वैसे मनोहर सरकार की प्रेरणा के चलते हरियाणा में पिछले दो सालों में किसानों ने एक लाख 73 हजार करोड़ लीटर पानी की बचत की है। हालांकि प्रदेश सरकार ने पानी बचाने का लक्ष्य दो लाख 60 हजार करोड़ लीटर था, लेकिन लोगों के सार्थक प्रयास के चलते कुल ढाई लाख करोड़ लीटर पानी बचाया गया है।
-संजय मग्गू
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