रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रखर विरोधी एलेक्सी नवलनी की 16 फरवरी को संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत को लोग हत्या मान रहे हैं। राजनीति विज्ञान में इस तरह की हत्याओं को ‘डेमोसाइड’ कहा जाता है। यह प्रकारातंर से जिनोसाइड का ही एक रूप है जिसमें देश के नागरिकों का सामूहिक नरसंहार किया जाता है। रूस में अपने विरोधियों की हत्या कोई नई बात नहीं है। रूस में ब्लादिमीर लेनिन के नेतृत्व में 7 नवंबर 1917 से पहले जारशाही थी। जारशाही अपने विरोधियों को या तो फांसी दे देती थी या फिर साइबेरिया भेज देती थी जहां पड़ने वाली भयंकर ठंड में व्यक्ति की मौत हो जाती थी। 7 नवंबर को हुई रूसी क्रांति के बाद यह सिलसिला थमा, लेकिन यह बहुत ज्यादा दिन कायम नहीं रह सका। 1924 में लंबे समय तक जारशाही की सजाओं के चलते आई अस्वस्थता और विरोधियों के गोली मारने से घायल लेनिन की मृत्यु के बाद जोसेफ स्टालिन के शासक बनने बाद विरोधियों की हत्या फिर शुरू हो गई।
उन दिनों जिसको साइबेरिया भेजा जाता था, हत्या कर दी जाती थी, उसके बारे में सरकारी रजिस्टर में लिख दिया जाता था कि अमुक आदमी लंबी छुट्टी पर गया। रूस की सत्ता पर 1999 से काबिज ब्लादिमीर पुतिन ने उस परंपरा को एक बार फिर जीवंत कर दिया है। 16 फरवरी को जिस एलेक्सी नवलनी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई है, वह राष्ट्रीय स्तर पर पुतिन विरोधी मुहिम चला रहे थे। वे एंटी करप्शन फाउंडेशन के संस्थापक भी थे। 23 अगस्त 2023 को एक विमान दुर्घटना में अपने साथियों से मारे गए येवगेनी प्रियोजिन की मौत भी एक राजनीतिक हत्या यानी डेमोसाइड ही मानी गई थी। जब जून 2023 में वेगनर ग्रुप ने मास्को पर चढ़ाई की थी, तब मैंने इसी कालम में यह आशंका जाहिर की थी कि येवगेनी की मौत कभी भी हो सकती है।
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दो महीने के भीतर ही येवगेनी मौत ने मेरी उस आशंका को सच साबित कर दिया था। पिछले साल भारत में दो रूसी नागरिकों की हुई संदिग्ध मौत पर भी सवाल उठे थे और यह कहा गया था कि इनकी मौत में रूसी राष्ट्रपति पुतिन का हाथ हो सकता है क्योंकि मरने वाले दोनों रूसी नागरिक पुतिन के विरोधी माने जाते थे। वर्ष 1998 में रूस के उप प्रधानमंत्री रहे बोरिसक नेमत्सोव की 27 फरवरी 2015 में गोली मारकर की गई हत्या के लिए भी पुतिन को ही जिम्मेदार ठहराया गया था। नेमत्सोव काफी समय से पुतिन का मुखर विरोध कर रहे थे।
यही नहीं, लुकआइल कंपनी के चेयरमैन रहे रवील मगानोव की भी सितंबर 2022 में मास्को के एक अस्पताल की खिड़की से गिर कर मौत हो गई थी। वह रूस-यूक्रेन युद्ध के मुखर विरोधी थे। इसके अलावा न जाने कितनी हत्याएं रूस और रूस से बाहर हुई हैं जिसके लिए पुतिन की ओर अंगुली उठी थी। कहा जाता है कि वेगनर आर्मी का गठन ही पुतिन विरोधियों को ठिकाने लगाने के लिए हुआ था, लेकिन बाद में वह विद्रोही हो गई थी।
-संजय मग्गू
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