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लापरवाही: चार महीने बाद भी क्षय रोगियों नहीं मिली जांच रिपोर्ट

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कविता

जिले में क्षय रोगियों कोडाइट के लिए मासिक 500 रुपये तो दे रहे हैं। लेकिन उनके इलाज के दावें खोखले साबित हो रहे हैं। बीके सिविल अस्पताल में मरीजों को सैम्पल देने के लिए कंटेनर तक नहीं मिल रहे हैं। वहीं छह माह चलने वाले इलाज की जांच रिपोर्ट चार महीने बाद भी नहीं मिल रही है। ऐसे में मरीज अपना इलाज कैसे करवाऐंगे।

नहीं मिल रहे कंटेनर

एसजीएम नगर निवासी मधुलता ने बताया कि चिकित्सक ने उसे टीबी की जांच के लिए लिखा था। वह दस दिन पहले कंटेनर लेने आई थी। लेकिन उसे कंटेनर समाप्त होने की बात कह कर आठ दिन बाद आने को कहा गया था। अब वह दौबारा आने पर भी उसे जांच कंटेनर नहीं मिला। ऐसे में उसने जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ रिचा बतरा को शिकायत की तो उन्होंने सेक्टर-21 स्थित डिस्पेंसरी से कंटेनर लेने की सलाह दी। मरीजों को यहां से वहां चक्कर कटवायें जा रहे हैं।

फरवरी की रिपोर्ट नहीं मिली

ओल्ड प्रैस कालोनी निवासी डिम्पल बताया कि उसके गले में गांठ होने के कारण चिकित्सक ने क्षय रोग की दवाईयां शुरू जनवरी में की थी। उसकी एलपीए प्रथम और सैंकेंड लाइन के संग गांठ के सैम्पल की जांच करवाने को कहा था। दो बार सैंपल देने के बाद भी उसकी अधूरी रिपोर्ट मिली है। ओपीडी में जांच के दौरान उससे चिकित्सक हर बार रिपोर्ट मांगते हैं। डिस्पेंसरी से उसे हर बार कार्ड पर रिपोर्ट लिखवाने की बात कही जाती है। शुक्रवार को खुलासा हुआ कि उसकी एलपीए जांच की फरवरी से अब तक नहीं की गई है। कल्चर की रिपोर्ट भी उसे जून में मिली। डिम्पल ने 16 फरवरी 2023 को सैम्पल दिया था। लेकिन रिपोर्ट उसे अभी तक नहीं मिली है।ऐसे में अब दौबारा से जांच करवाई गई तो उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। जिससे अब उसका इलाज लम्बा चलेगा।

शहर में अनेक केन्द्र

जिले में क्षय रोगियों को सुविधाएं देने के लिए नौ टीबी यूनिट और 45 प्राईमरी हेल्थ इंस्टीट्यूट (पीएचआई) चल रहे है। जिसमें नौ सिनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर (एसटीएस), 14 टीबी हेल्थ विजिटर (टीबीएचबी) के अलावा अन्य क्षय रोग केन्द्रों पर एएनएम और जीएएनएम मरीजों को दवा देती हैं। लेकिन जांच के दौरान उनकी रिपोर्ट मरीजों तक नहीं पहुंच रही है। ऐसे में मरीज जहां इलाज पूरा न मिलने के कारण परेशान हैं तो वहीं चिकित्सक मरीजों की रिपोर्ट के आभाव में सही इलाज नहीं कर पा रहे हैं। जिससे मरीजों का इलाज लम्बा चल रहा है। इस तरह से आगामी वर्ष 2025 में किस तरह से भारत देश क्षय रोग मुक्त हो सकेगा, यह कहना मुश्किल है।

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