किसान संगठन एक बार फिर हुंकार भरने की तैयारी कर रहे हैं। इस बार वे काफी उत्साहित भी हैं। वे पिछली बार किए गए आंदोलन का सकारात्मक परिणाम देख चुके हैं। भाजपा दस में से पांच लोकसभा सीटें हार चुकी है। भाजपा की इस पराजय के पीछे वे अपने विरोध को मान रहे हैं। उनका यह मानना काफी हद तक सच भी है। लोकसभा चुनाव के दौरान जिस तरह भाजपा और जजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं का बहिष्कार किया गया, उन्हें गांवों में जाने से रोका गया, उनके खिलाफ प्रदर्शन किए गए, काले झंडे दिखाए गए, उसकी का नतीजा था कि भाजपा प्रदेश में अपनी पांच सीटें गंवा बैठी। मोहाली एयरपोर्ट पर भाजपा सांसद और फिल्म अभिनेत्री कंगना रणौत को सीआईएसएफ की महिला जवान कुलविंदर कौर द्वारा थप्पड़ मारे जाने के बाद किसान संगठनों ने नए आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी है।
दरअसल, कंगना रणौत को थप्पड़ मारे जाने के पीछे किसान आंदोलन भी एक वजह है। कुलविंदर कौर की कथित मां मोहिंदर कौर की तस्वीर ट्वीटर पर पोस्ट करते हुए आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। चूंकि मोहिंदर कौर किसान आंदोलन से जुड़ी हुई थीं, इसलिए किसान संगठन अब कंगना रणौत से मारपीट के बाद गिरफ्तार हुई कुलविंदर कौर के पक्ष में किसान संगठन आ गए हैं। वे कुलविंदर कौर और उनके परिवार को हरसंभव सहायता देने की बात कर रहे हैं। इस मामले को सियासी रंग देने की कोशिश की जा रही है।
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किसान संगठनों के एक बार फिर आंदोलन की तैयारी करने के पीछे तीन महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को भी माना जा रहा है। किसान संगठनों की सोच है कि लोकसभा चुनाव परिणाम को देखते हुए शायद इस बार प्रदेश सरकार उन्हें दिल्ली जाने से रोकने की कोशिश न करे। पिछली बार तो वे पंजाब और दिल्ली के बार्डर पर ही रोक दिए गए थे। वहीं से उन्होंने चुनाव की तारीखें घोषित होने तक आंदोलन चलाया था।
शंभु बार्डर पर तो छिटपुट आंदोलन आज भी चल रहा है। 13 फरवरी को शुरू हुए किसान आंदोलन थोड़ा कमजोर इसलिए भी पड़ गया था कि कुछ किसान संगठनों ने यह कहते हुए शामिल होने से इनकार कर दिया था कि आंदोलन शुरू करने से पहले उनसे सलाह-मशविरा नहीं किया गया था। हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी और रतन मान इसी बात को लेकर नाराज थे। इस बार किसान संगठन सबसे सलाह मशविरा करके एक साथ आंदोलन करने की तैयारी में हैं। यदि ऐसा होता है, तो निकट भविष्य में पूरे देश को एक और किसान आंदोलन से रूबरू होना पड़ सकता है। इस बार किसान आंदोलन का स्वरूप क्या होगा, इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। लेकिन सरकार अभी से सतर्क हो गई है।
-संजय मग्गू
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