Friday, November 22, 2024
18.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeLATESTJagannath Rath Yatra 2024: क्या आप भी जानते हैं जगन्नाथ यात्रा की...

Jagannath Rath Yatra 2024: क्या आप भी जानते हैं जगन्नाथ यात्रा की ये खास बातें, आज से हो रही शुरुआत

Google News
Google News

- Advertisement -

Jagannath Rath Yatra 2024: ओड़ीशा का पुरी शहर आज से शुरू होने वाली भगवान जगन्नाथ की सालाना रथ यात्रा उत्सव के लिए पूरी तरह तैयार है। 53 साल के बाद यह यात्रा दो-दिवसीय होगी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी लाखों श्रद्धालुओं के साथ रथ यात्रा में शामिल होंगी। राज्य सरकार ने उनकी यात्रा के लिए विशेष व्यवस्था की है।

Jagannath Rath Yatra 2024:53 साल बाद दो-दिवसीय होगी यात्रा

अधिकारियों ने बताया कि ओड़ीशा सरकार ने यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2024) के सुचारू संचालन के लिए व्यापक व्यवस्था की है। यह आमतौर पर एक ही दिन आयोजित की जाती है। ग्रह-नक्षत्रों की गणना के अनुसार इस साल दो-दिवसीय यात्रा आयोजित की गई है। आखिरी बार 1971 में दो-दिवसीय यात्रा का आयोजन किया गया था।

जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक यात्रा

परंपरा से हटकर, तीन भाई-बहन देवी-देवताओं – भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र से संबंधित त्योहार से संबंधित कुछ अनुष्ठान भी रविवार को एक ही दिन में आयोजित किए जाएंगे। रथों (Jagannath Rath Yatra 2024) को जगन्नाथ मंदिर के सिंहद्वार के सामने खड़ा किया गया है, जहां से उन्हें गुंडिचा मंदिर ले जाया जाएगा। वहां रथ एक सप्ताह तक रहेंगे।

नवयौवन दर्शनऔर नेत्र उत्सवआज

इस साल, रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2024) और संबंधित अनुष्ठान जैसे ‘नवयौवन दर्शन’ और ‘नेत्र उत्सव’ एक ही दिन सात जुलाई को आयोजित किए जाएंगे। ये अनुष्ठान आम तौर पर रथ यात्रा से पहले आयोजित किए जाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, स्नान पूर्णिमा पर अधिक स्नान करने के कारण देवता अस्वस्थ हो जाते हैं और इसलिए अंदर ही रहते हैं। ‘नवयौवन दर्शन’ से पहले, पुजारी ‘नेत्र उत्सव’ नामक विशेष अनुष्ठान करते हैं, जिसमें देवताओं की आंखों की पुतलियों को नए सिरे से रंगा जाता है।

Jagannath Rath Yatra: इतिहास और महत्व

जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2024) उत्सव की शुरुआत 12वीं से 16वीं शताब्दी के बीच हुई थी। इसकी शुरुआत के बारे में कई कहानियां और मान्यताएं हैं। कुछ लोग कहते हैं कि यह भगवान कृष्ण की अपनी मां की जन्मभूमि की यात्रा को दर्शाता है। कई लोगों का कहना है कि इसकी शुरुआत राजा इंद्रद्युम्न से हुई थी, जिन्होंने कथित तौर पर अनुष्ठान शुरू किए थे.

क्या हैं मान्यताएं

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा हर साल आषाढ़ महीने की द्वितीय तिथि पर निकाली जाती है। इस रथ यात्रा के निकलने के पीछे कई मान्यताएं हैं। कहते हैं कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के अवतार के रूप में भगवान जगन्नाथ अपने बड़े  भाई बलराम के साथ अपनी बहन सुभद्रा को नगर घुमाने के लिए ले जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इतिहास में भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने नगर घूमने की इच्छा ज़ाहिर की थी जिसके बाद बहन की इच्छा पूरा करने के लिए भगवान जगन्नाथ ने तीन रथ बनवाए और सुभद्रा को नगर घुमाने के लिए रथ यात्रा पर ले गए।

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

BMW India:बीएमडब्ल्यू इंडिया जनवरी 2025 से बढ़ाएगी कारों की कीमतें

जर्मनी की लक्जरी (BMW India:) निर्माता कंपनी बीएमडब्ल्यू की भारतीय इकाई, बीएमडब्ल्यू इंडिया, अपने सभी मॉडलों की कीमतों में अगले साल जनवरी से तीन...

UP News: सहारनपुर में शताब्दी एक्सप्रेस पर पथराव

21 नवंबर को सहारनपुर जिले में नई दिल्ली से देहरादून जाने वाली शताब्दी एक्सप्रेस पर अज्ञात हमलावरों ने पथराव किया। इस घटना में ट्रेन...

PM Modi: भारत कभी ‘विस्तारवादी मानसिकता’ के साथ आगे नहीं बढ़ा: मोदी

PM Modi Asserts India Has Never Followed Expansionist Mentality: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 नवंबर को गुयाना की संसद के विशेष सत्र को संबोधित...

Recent Comments