ईरान बदल रहा है। इस बात का सुबूत है सुधारवादी नेता मसूद पजशकियान का प्रचंड मतों से ईरान के राष्ट्रपति पद के चुनाव में जीतना। धार्मिक कट्टरता की बेड़ियों में जकड़े ईरान ने अपना फैसला सुना दिया है। अब उसे धार्मिक कट्टरता नहीं चाहिए। उसे चाहिए मॉरल पुलिसिंग और हिजाब से मुक्ति। ईरान की महिलाएं स्वतंत्र होना चाहती हैं। वह अपने सपनों का संसार खुद रचना चाहती हैं। वह पुरुषों की मुख्तारी से आजाद होकर खुद मुख्तार बनना चाहती हैं। यही वजह है कि ईरान के राष्ट्रपति चुने गए मसूद को 50 फीसदी वोट उन युवाओं के मिले हैं जो हिजाब के बंधन से मुक्ति चाहती है, विज्ञान और तकनीक के साथ-साथ नई दुनिया में कदम रखना चाहते हैं, रोजगार के नए-नए अवसर तलाशना चाहते हैं। मई में ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की अजरबैजान में हेलिकाप्टर दुर्घटना में हुई मौत के बाद राष्ट्रपति चुनाव हुए थे।
पूर्व राष्ट्रपति रईसी के नक्शे कदम पर चलने वाले कट्टरपंथी सईद जलीली को हराकर मसूद राष्ट्रपति बने हैं। राष्ट्रपति मसूद चुनाव के दौरान महिलाओं को यह विश्वास दिलाने में सफल रहे कि वह उनको लोकतांत्रिक देशों की तरह स्वतंत्रता दिलाएंगे। राष्ट्रपति बनते ही सबसे पहले मॉरल पुलिस बसिज के अधिकारों में कटौती करेंगे। यह मॉरल पुलिस ही थी जिसने साल 2022 में हिजाब न पहनने के आरोप में महसी अमिनी को गिरफ्तार किया और बाद में हिरासत में ही उनकी मौत हो गई। हिजाब के खिलाफ चले आंदोलन में पांच सौ से अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी और 17 हजार से अधिक लोग ईरान की विभिन्न जेलों में बंद हैं। इस्लामिक कट्टरता के चलते ईरान की महिलाएं घुट-घुटकर जीने को मजबूर हैं। उन्हें पुरुषों के मुकाबले में बहुत कम अधिकार हासिल हैं। लेकिन जब मसूद ने महिलाओं और युवाओं को मुक्ति का मार्ग दिखाया, तो उन्होंने बीते शनिवार को इतिहास रच दिया।
पेशे से हर्ट स्पेशलिस्ट मसूद पजशकियान ने अपने देश की जनता से वायदा किया है कि वह ईरान पर लगाए गए पश्चिमी देशों के प्रतिबंध को हटवाएंगे ताकि देश की अर्थव्यवस्था में सुधार हो और रोजगार के अवसर बढ़ें। दरअसल, ईरानी युवाओं के लिए धार्मिक कट्टरता से मुक्ति और रोजगार सबसे बड़े मुद्दे हैं। मजहबी कानूनों ने उन्हें और उनकी स्वतंत्रता को बुरी तरह जकड़ रखा है। युवाओं में वैज्ञानिक सोच तो है, लेकिन माहौल नहीं है।
वह दुनिया के तमाम देशों के युवाओं के साथ कदम से कदम मिलाकर अपना मुकद्दर लिखना चाहते हैं, लेकिन इस्लाम के नाम पर उन पर बेजा प्रतिबंध लगाए जाते हैं। अब जब मसूद नए राष्ट्रपति बने हैं, तो यह उम्मीद भी पैदा हुई है कि आने वाले दिनों में ईरान में एक नया सूरज उगेगा जो उस देश के युवाओं खासतौर पर महिलाओं के सपनों को साकार करेगा। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो मसूद ने इस्तीफा देने का भी वायदा कर रखा है।
-संजय मग्गू