टूरिज्म के क्षेत्र में एक नया नाम उभर कर सामने आया है। वह है स्पेस टूरिज्म। यह बाजारवाद का नया और रोमांचक विस्तार है। अब जिसके पास पैसा है, जो अरबपति खरबपति हैं, वे अंतरिक्ष की सैर कर सकेंगे। वे यह महसूस कर सकेंगे कि अंतरिक्ष में चलना-फिरना, कैसा लगता है। जल के बाद नभ में कुलांचे भरने की यह नई पहल है। अभी एक सप्ताह भी नहीं हुए हैं जब सागर की गहराई में करीब सौ साल पहले डूबे टाइटैनिक जहाज का मलबा देखने गए पांच अरबपति समुद्र में दम घुटने से मौत के मुंह में समा गए। 10 अप्रैल 1912 को ब्रिटेन के साउथ हैंम्पटन से न्यूयार्क की यात्रा पर निकला टाइटैनिक जहाज 15 अप्रैल को डूब गया था। इस जहाज पर डेढ़ हजार लोग सवार थे और सभी मौत के मुंह में समा गए थे। उस घटना को सौ साल से ऊपर हो गए हैं, लेकिन कभी न डूबने वाला जहाज क्यों डूब गया, इस बात का खुलासा आज तक नहीं हो पाया है।
लोग उस रहस्य को आज भी जानना चाहते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि टाइटैनिक जहाज पर एक शापित ममी लदी हुई थी, इसी वजह से जहाज डूब गया था। इसी रहस्य को जानने और उसका मलबा देखने की ललक में अरबपति ब्रितानी कारोबारी हामिश हार्डिंग, शहजाद दाऊद, उनके बेटे सुलेमान, ओशनगेट के सीईओ स्टॉक्टन रश और फ्रांसीसी नेवी के पूर्व गोताखोर पॉल हेनरी नार्जियोले अपनी जान गंवा बैठे हैं। अब इन लोगों के शव तक खोज पाना बहुत ही मुश्किल है। ऐसे में 27 से 39 जून को अंतरिक्ष पर्यटन कंपनी वर्जिन गैलेक्टिक स्पेस टूरिज्म शुरू कर चुकी है। इस कंपनी ने एक टिकट का दाम पौने चार करोड़ रुपये रखा है।
इस स्पेस टूरिज्म के लिए 8 सौ लोग अपनी सीटें बुक करवा चुके हैं। इतना महंगा टिकट होने के बावजूद जिस तरह अंतरिक्ष पर्यटन के लिए जिस तरह लोगों में क्रेज बढ़ता जा रहा है, उसके आधार पर कहा जा सकता है कि आने वाले कुछ ही सालों में अंतरिक्ष पर्यटन ठीक वैसा ही हो जाएगा, जैसे कि इन दिनों हवाई यात्रा की जा रही है। हवाई जहाज अब आम लोगों के लिए सर्वसुलभ हैं। कभी ऐसा भी था जब हवाई यात्रा देश के 99 फीसदी लोगों के लिए सपने जैसी थी। लोग जीवन भर हवाई यात्रा का सपना देखते थे और अंत में अपने सपने के साथ इस दुनिया से अलविदा हो जाते थे। अब तो बस कुछ हजार रुपये खर्च करके हवाई यात्रा की जा सकती है। ठीक ऐसा ही हाल होने वाला है अंतरिक्ष पर्यटन का। इस पर्यटन के दो पहलू हैं।
यह यात्रा खतरनाक भी हो सकती है। जरा सी चूक हुई और अंतरिक्ष यात्रा पर निकले हो स्वर्ग की यात्रा करने के लिए मजबूर होंगे। उन्हें आभास तक नहीं हो कि वे कब स्वर्ग की यात्रा के लिए निकल पड़े हैं। अंतरिक्ष में आना जाना, कोई बच्चों का खेल नहीं है। हां, शोध और मानव सभ्यता को आगे ले जाने के लिए की जाने वाली यात्राएं जरूर की जानी चाहिए, लेकिन सिर्फ पैसा कमाने के लिए लोगों के जीवन से खिलवाड़ करना कतई उचित नहीं है।
इसका सकारात्मक पहलू यह है कि जब हमारी तकनीक इतनी उन्नति कर जाएगी कि अंतरिक्ष में आना जाना, सहज हो जाएगा तो हम दूसरे ग्रहों पर मानव सभ्यता को बसाने की दिशा में सोच सकते हैं। हमारी पृथ्वी पर हमारी ही गलतियों की वजह से जीवन दूभर होता जा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग बार-बार चेतावनी दे रहा है। ऐसे में यदि हम मानव के रहने लायक दूसरा ग्रह खोजने में सफल रहे, तो यह मानव सभ्यता के प्रति बहुत बड़ा उपकार होगा। हमारी मानव सभ्यता मिटने से बच जाएगी। दूसरे ग्रहों पर जीवन की खोज भी इन यात्राओं के बहाने सरल हो जाएगी।