धर्म कोई भी हो, छोटा या बड़ा नहीं होता है। हमारे धर्मग्रंथ में कहा गया है कि जिसको धारण कर लिया, वही धर्म है। एक बार की बात है। अमेरिका में कई लोग बैठे हुए धर्म पर चर्चा कर रहे थे। उनमें से कोई किसी धर्म की कमी बता रहा था, तो कोई किसी धर्म की। सारे लोग एक दूसरे की हां में हां मिला रहे थे। उन लोगों में एक व्यक्ति चुपचाप बैठा हुआ था। एक व्यक्ति ने कहा कि हमने पूरी दुनिया में घूम कर देख लिया। सारे धर्मों के बारे में जानकारी हासिल कर ली। सभी धर्मों में कुछ न कुछ कमी जरूर देखने को मिली। कुछ धर्मों में तो पाखंड बहुत है। लोग इन पाखंडों के पीछे अपना समय और जीवन बरबाद करते रहते हैं।
इसलिए मैं मानता हूं कि सभी धर्मों में सबसे अच्छा ईसाई धर्म है। यहां आधुनिक और पुरातन का मिश्रण है। सबसे मानवीय धर्म ईसाई है। सबने इस बात पर हां में हां मिलाई लेकिन वह आदमी चुपचाप बैठा रहा। उसने कुछ नहीं कहा, तो लोगों को आश्चर्य हुआ। वह उसकी प्रतिक्रिया जानना चाहते थे। इस पर एक व्यक्ति से रहा नहीं गया। उसने पूछ लिया कि क्या तुम नास्तिक हो? तुम्हें किसी भी धर्म पर विश्वास नहीं है। तुम अब तक चुप क्यों बैठे हो? इस बात पर उस व्यक्ति ने कहा कि मैं आपकी तरह बड़े-बड़े तर्क नहीं दे सकता हूं।
मैं एक सरल सी बात जानता हूं। इस बात को सुनकर एक ने कहा कि तुम सरल सी बात बता दो। तब उस व्यक्ति ने कहा कि मैं जिस दिन कोई अच्छा काम करता हूं, उस दिन में अच्छा महसूस करता हूं। जिस दिन मुझसे कोई बुरा काम हो जाता है, तो मैं उस दिन और उस वक्त बुरा महसूस करता हूं। यह सुनकर सभी आश्चर्यचकित रह गए कि इस व्यक्ति ने बड़ी आसानी से धर्म की परिभाषा बता गया। चुप रहने वाला व्यक्ति अब्राहिम लिंकन था।
अशोक मिश्र