कचरा प्रबंधन वैसे तो देश के सभी राज्यों के लिए मुसीबत साबित होता जा रहा है। हरियाणा भी कचरा प्रबंधन सही ढंग से न होने की समस्या से जूझ रहा है। अब तो नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आदेश जारी कर दिया है कि कचरा फेंकने के लिए जो स्थान स्थानीय प्रशासन द्वारा तय किया गया है, वहीं पर कूड़ा-कचरा फेंका जाए। यदि कोई व्यक्ति या संस्थान चिन्हित जगहों के अलावा कहीं कूड़ा फेंकता पाया गया, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इधर-उधर कूड़ा-कचरा फेंकते हुए पकड़े जाने पर पचास हजार रुपये तक जुर्माना किया जा सकता है।
अक्सर यह देखने में आता है कि लोग अपने घर या संस्थान का कूड़ा-कचरा दिन में या रात के अंधेरे में चुपके से नालियों, नालों या सड़कों के आसपास फेंक देते हैं। इससे लोगों को आने जाने परेशानी का सामना करना पड़ता है। नाले और नालियां कूड़े की वजह से जमा हो जाती हैं जिसका नतीजा यह होता है कि नालियां चोक होने से सड़कों पर पानी जमा होने लगता है। सड़कों पर पानी जमा होने से लोगों को असुविधा होती है, मक्खी-मच्छर पैदा होने से लोगों को डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया जैसे रोग होने का खतरा बढ़ जाता है। बहुत दिनों तक पानी जमा होने से कई तरह की बीमारियों के फैलने का डर भी रहता है। लोगों की इस बुरी आदतों से आजिज आकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने उत्तर प्रदेश के बाद हरियाणा में इधर-उधर कूड़ा फेंकने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
हालांकि, सरकार ने कचरा प्रबंधन के पुख्ता इंतजाम किए हैं। लगभग हर जिले में सुबह कचरा उठाने वाली गाड़ियां आती हैं, लेकिन लोग थोड़े से पैसे बचाने के लिए कचरा उठाने वालों की सेवाएं लेने के बजाय रात के अंधेरे में इधर उधर कूड़ा कचरा फेंक जाते हैं। प्रदेश में ज्यादा मुसीबत प्लास्टिक कचरा बनता है। राज्य में प्लास्टिक कचरे के उत्पादन में भारी वृद्धि हुई है। साल 2023 में 179406.5 टन प्लास्टिक कचरा हुआ था। यह साल 2022 के मुकाबले 38 प्रतिशत ज्यादा था। हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रकाशित वार्षिक रिपोर्ट बताती है कि राज्य में लगभग 14 प्रतिशत प्लास्टिक कचरा लैंडफिल में समाप्त हो गया।
प्रदेश में लगभग 78 प्रतिशत प्लास्टिक कचरे का पुनर्चक्रण किया जा रहा है। यह भी सही है कि प्रदेश सरकार कचरा प्रबंंधन के मामले को लेकर काफी गंभीर है। सैनी सरकार ने अभी हाल ही में घोषणा की है कि केंद्र सरकार की सहायता से प्रदेश में कचरे से चारकोल लगाने वाले प्लांट स्थापित किए जाएंगे। ग्रीन कोल प्लांट के नाम से जानी जाने वाली इन परियोजनाओं को फरीदाबाद के मोटूका और गुरुग्राम के बंधवाड़ी में पांच सौ करोड़ की लागत से स्थापित किया जाएगा। इससे रोजाना डेढ़ हजार टन कचरे को चारकोल में बदला जाएगा।
-संजय मग्गू
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