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झप्पी को ऐसा-वैसा न समझें, बड़े काम की है

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सन 2003 में एक फिल्म आई थी। नाम था मुन्ना भाई एमबीबीएस। उसमें मुन्ना भाई हर आदमी को झप्पी देता था। वह हैरान-परेशान व्यक्ति को झप्पी थेरेपी देने पर विश्वास करता था। वैज्ञानिकों ने यह साबित कर दिया है कि वाकई झप्पी किसी दवा से कम नहीं है। जब बच्चा रात में बार-बार चौंकता है, डरता है, रोता है, तो उसकी मां उसे सीने से लगा लेती है। बच्चा गहरी नींद सो जाता है। यह झप्पी थेरेपी है। झप्पी देने पर बच्चे को यह एहसास हो जाता है कि वह अपनी मां के आंचल में सुरक्षित है। छोटे बच्चों को सपने बहुत आते हैं, ऐसे बड़े-बुजुर्ग कहते हैं। अक्सर देखा होगा कि बच्चा दिन या रात में सपने देखते समय या तो मुस्कुराता है या फिर मुंह बनाकर रोनी सूरत बना लेता है, रोने लगता है। अच्छे सपने आने पर वह मुस्कुराता है और खराब सपने होने पर वह डर जाता है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि जब हम किसी को झप्पी देते हैं, गले लगाते हैं या उसके कंधे पर हाथ रखकर थपथपाते हैं, तो शरीर में आक्सीटोसिन हर्माेन का रिसाव होता है। आक्सीटोसिन हार्मोन हमारे मस्तिष्क में सकारात्मक भावनाएं पैदा करता है। जिससे हमें नींद अच्छी आती है। कॉर्टिसोल हार्मोन का स्तर घट जाता है जिससे हमारा तनाव काफी कम हो जाता है। भावनात्मक रूप में हम मजबूत महसूस करते हैं। इससे इम्युनिटी बढ़ती है और रोगों से लड़ने में आसानी होती है। अभी साल भर पहले की बात है। बहराइच के एक अस्पताल में डॉक्टरों ने उन बच्चों के लिए झप्पी थेरेपी दी है जो समय से पूर्व पैदा हुए थे या फिर उनका वजन खतरनाक स्तर तक कम था। ऐसे बच्चों को उनकी माओं के लिए कंगारू की तरह एक थैली बनाकर दी गई और कहा गया कि वे अपने बच्चे को इसी थैली में अधिक से अधिक समय तक रखें।

मां की त्वचा का संपर्क होने पर अबोध बालकों को सुरक्षा का आभास होता है और वे धीरे-धीरे स्वस्थ होने लगते हैं। उस अस्पताल ने सैकड़ों बच्चों को इस थेरेपी जीवनदान दिया है। झप्पी थेरेपी सिर्फ बच्चों के लिए ही कारगर नहीं है। हर वह आदमी जो अपने को असुरक्षित समझता है, बेचैन है, नींद नहीं आ रही है, अपने जीवन साथी, मां-बाप, भाई-बहन, दोस्त आदि को झप्पी देकर देखे, तमाम समस्याओं से यह जादू की झप्पी निजात दिला सकती है। सोते वक्त अपने साथी को गले लगाकर तो देखिए, निश्चित रूप से नींद अच्छी आएगी।

शरीर से शरीर का स्पर्श बना रहे, तो मानसिक रूप से आदमी को यह ताजगी प्रदान करता है। बच्चे हों या बड़े, किसी के कंधे पर हाथ रखकर थोड़ी देर थपथपा कर देखिए, उस व्यक्ति को कितना सुकून मिलता है। नींद अच्छी आने के साथ-साथ ब्लड प्रेशर भी घट सकता है। लेकिन अफसोस यह है कि आज किसी के पास मोबाइल, कंप्यूटर, टैबलेट आदि से ही फुरसत नहीं है। अपने परिवार को कब गले लगाया था, यह शायद ही याद हो। मुन्ना भाई एमबीबीएस में दिखाई गई थेरेपी यों ही केवल एक फिल्म नहीं थी, बल्कि वह एक वैज्ञानिक सच्चाई थी। यही वजह है कि वह फिल्म पसंद भी खूब की गई। तो फिर क्या इरादा है, चलें एक झप्पी लें किसी की।

-संजय मग्गू

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