भारतीय जनता पार्टी (Haryana BJP:) के वरिष्ठ नेता अनिल विज ने मंगलवार को हरियाणा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के संभावित गठबंधन पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास राज्य में अकेले चुनाव लड़ने की शक्ति नहीं है, इसलिए वह आप के साथ गठबंधन की संभावनाओं को तलाश रही है। विज ने यह बयान पांच अक्टूबर को होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव के संदर्भ में दिया, जब दोनों पार्टियां सीट बंटवारे पर बातचीत कर रही हैं।
Haryana BJP: अपने दम पर चुनाव नहीं लड़ सकती कांग्रेस
अनिल विज ने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा, “कांग्रेस के पास हरियाणा में अपने दम पर चुनाव लड़ने की ताकत नहीं है, यही कारण है कि वे अब आप के साथ नजदीकियां बढ़ा रहे हैं और गठबंधन की कोशिश कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के नेता, खासकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, जो अब तक यह दावा कर रहे थे कि कांग्रेस के टिकट के लिए बड़ी संख्या में दावेदार हैं, अब शायद पर्याप्त संख्या में उम्मीदवार भी नहीं जुटा पा रहे हैं। इसलिए उन्हें बाहरी समर्थन की जरूरत महसूस हो रही है। विज ने इसे कांग्रेस की कमजोरी का प्रतीक बताया और कहा, “केवल कमजोर ही बाहरी समर्थन मांगता है।”
आप कांग्रेस से मांग रही दस सीटें
हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। दोनों दल सीटों के बंटवारे पर सहमति बनाने के प्रयास में हैं। आप के सूत्रों के अनुसार, पार्टी 90 विधानसभा सीटों में से 10 सीटों की मांग कर रही है, जबकि कांग्रेस केवल सात सीटें देने के लिए तैयार है। दोनों पार्टियों के बीच अब तक दो दौर की बातचीत हो चुकी है। आप के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा और कांग्रेस के के. सी. वेणुगोपाल के बीच हुई बैठकों के बाद अगले एक-दो दिनों में फिर से बैठक होने की संभावना है।
आप-कांग्रेस गठबंधन पर चर्चा जारी
कांग्रेस और आप के बीच चल रही इस बातचीत का अभी तक कोई अंतिम परिणाम सामने नहीं आया है, लेकिन दोनों पार्टियों के करीबी सूत्रों ने पुष्टि की है कि गठबंधन के लिए चर्चा जारी है। हरियाणा में यह गठबंधन आगामी विधानसभा चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, और इसका असर राज्य की राजनीति पर भी पड़ सकता है। कांग्रेस और आप के संभावित गठबंधन को लेकर राजनीतिक गलियारों में कयास लगाए जा रहे हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि यह गठबंधन किस रूप में सामने आता है और चुनावी नतीजों पर इसका क्या असर होता है।