नेटफ्लिक्स की नई थ्रिलर फिल्म ‘सेक्टर 36’ ने अपने शानदार प्लॉट और किरदारों की गहराई से दर्शकों को चौंका दिया है। फिल्म की कहानी एक जले हुए हाथ के बरामद होने के बाद शुरू होती है, जो पुलिस की जाँच को एक गंभीर मोड़ पर ले जाता है।
विक्रांत मैसी ने अपने किरदार को इतनी प्रभावशाली और भयानक तरीके से निभाया है कि दर्शक उन्हें देखे बिना चैन से नहीं बैठ सकते। उनका प्रदर्शन एक साइकोपैथिक सीरियल किलर के तौर पर इतने गहरे और सच्चे तरीके से दिखाया गया है कि दर्शक उनकी मानसिकता की भयावहता को महसूस कर सकते हैं। विक्रांत का यह रोल उनकी बेस्ट परफॉर्मेंसेस में से एक माना जा रहा है।
दीपक डोबरियाल ने इंस्पेक्टर पांडे के किरदार को जिस सच्चाई और संवेदनशीलता के साथ निभाया है, वह सराहनीय है। उनका प्रदर्शन वास्तविक पुलिस वाले की छवि को पूरी तरह से उजागर करता है। उनके इंटेरोगेशन सीन में दर्शकों के एक्सप्रेशंस के साथ उनका अद्वितीय समन्वय फिल्म को एक नई ऊंचाई पर ले जाता है।
फिल्म की कमजोरियाँ
‘सेक्टर 36’ में कई जगह स्क्रीनप्ले और जाँच की बारीकियों में कमी दिखाई देती है। फिल्म का पहला भाग कुछ हद तक कमजोर नजर आता है और क्राइम थ्रिलर की बारीकियों को पूरी तरह से प्रस्तुत नहीं कर पाता। कहानी की गहराई और सस्पेंस को पूरी तरह से उजागर नहीं किया जा सका, जो कि फिल्म की एक महत्वपूर्ण कमी है।
सामाजिक और व्यक्तिगत सोच की पड़ताल
फिल्म अपराध और उसकी सामाजिक जड़ों की गहराई में जाकर इसे प्रस्तुत करती है। हालांकि, कुछ हिस्सों में इसकी कहानी को हार्ड हिटिंग बनाने के चक्कर में वास्तविकता से हटा दिया गया है। इसके बावजूद, फिल्म की इमोशनल और मानसिक गहराई दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर देती है।
‘सेक्टर 36’ एक ऐसा अनुभव है जो दर्शकों को झकझोर कर रख देता है। विक्रांत मैसी और दीपक डोबरियाल की शानदार परफॉर्मेंस इस फिल्म को देखने लायक बनाती है। हालांकि फिल्म में कुछ कमियां भी हैं, लेकिन इसकी कहानी और किरदारों की जटिलता दर्शकों को बांधे रखने में सफल रहती है। और कुल मिलाकर अपने शानदार होने का प्रमाण दे रही है।