संजय मग्गू
फटे हुए कपड़े पहनना हमारे देश में ही नहीं, लगभग पूरी दुनिया में गरीबी का पैमाना माना जाता है। फटे हुए कपड़े पहनकर इंसान समाज के सामने अपने को शर्मिंदा महसूस करता है, लेकिन यह उसकी मजबूरी है कि उसे पहनना पड़ता है। आज फटी हुई जीन्स पहनना फैशन हो गया है। हमारे देश में फटी हुई जीन्स पहनकर लड़के-लड़कियां इतराते हुए घूमते हैं। वहीं साउथ और नार्थ कोरिया में फटी हुई जीन्स पहनने के लिए लड़कियां और औरतें तरसती हैं। वह रंग-बिरंगे कपड़े पहनने के सपने देखती हैं। यदि उत्तरी कोरिया में कोई विदेशी फटी हुई जीन्स पहनकर घूमता दिखाई देता है, तो वे उसे भिखारी विदेश कहकर ललचाई हुई नजरों से उसके परिधान को देखती हैं। उत्तर कोरिया में कोई भी जीन्स नहीं पहन सकता है। उत्तर और दक्षिण कोरिया में जीन्स को अमेरिकी साम्राज्यवाद का प्रतीक है। यह सही है कि जीन्स पहनने का चलन सबसे पहले अमेरिका में हुआ था। इसे अमेरिका में रहने वाले चरवाहे पहना करते थे। जीन्स अमेरिकी चरवाहों के लिए काफी आरामदायक कपड़ा हुआ करताा था। उन्हें अपनी गाय, भैंस, भेड़-बकरियों को चराते समय झाड़ियों में भी जाना पड़ता था। कटीली झाड़ियों में फंस कर सामान्य कपड़े जल्दी फट जाते थे, लेकिन जीन्स काफी दिनों तक चलता था। बाद में बाजारवाद ने अमेरिकी चरवाहों द्वारा पहने जाने वाले परिधान में थोड़ा बहुत परिवर्तन करके उसे पूरी दुनिया में एक फैशनेबुल गारमेंट के रूप में प्रचारित किया और मोटी कमाई की। इसी वजह से उत्तरी कोरिया में जीन्स पहनना प्रतिबंधित है। अगर कोई महिला या युवती रंग-बिरंगा परिधान या जीन्स पहनने की गुस्ताखी कर भी दे, तो चौराहों पर खड़ी पुलिस कैंची से उन कपड़ों को काट देती है। कटे-फटे कपड़ों को जमा करवा लेती है। इसके ऐवज में उन्हें सजा भी मिलती है। पूरे देश में वहां लड़कियों के लिए परिधान तय है। ऊपर पहनने के लिए कमीज जैसा परिधान और स्कर्ट ही उनका पहनावा है। किसी भी महिला या युवती का घुटना नहीं दिखना चाहिए। महिलाएं की हेयर स्टाइल तक उत्तर कोरिया में तय है। कथित रूप से कम्युनिष्ट माने जाने वाले उत्तर कोरिया में महिलाओं के अधिकार बहुत सीमित हैं। उन्हें शिक्षा का अधिकार जरूर मिला हुआ है। तालिबानियों की तरह उन्हें महिला शिक्षा पर प्रतिबंध नहीं लगाया है, लेकिन दूसरी तरह के प्रतिबंधों ने वहां की महिलाओं की जिंदगी नरक जैसी बना दी है। यही वजह है कि वहां की लड़कियां अपने सपनों को साकार करने के लिए उत्तरी कोरिया से भाग रही हैं। जिन लड़कियों को उत्तरी और दक्षिणी कोरिया के प्रतिबंध रास नहीं आ रहे हैं, वे किसी न किसी बहाने जान जोखिम में डालकर दूसरे देशों में शरण ले रही हैं। उत्तर कोरिया के पड़ोसी देश चीन और जापान में जाकर रहना पसंद कर रही हैं। चीन और जापान में उत्तर कोरिया की अपेक्षा महिलाओं को ज्यादा ही स्वतंत्रता मिली हुई है। इन देशों में महिलाओं की स्थिति कोरिया की अपेक्षा ज्यादा बेहतर है। यही वजह है कि कोरियाई युवा अपने देश से पलायन कर चीन जापान जाना पसंद करते हैं।
संजय मग्गू